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समुद्र के किनारे जहां लक्ष्मण ने बाण मारकर निकाला था मीठा पानी, मुंबई के उस बाणगंगा तालाब का किया जा रहा जीर्णोद्धार, वाराणसी की तर्ज पर विकसित होगा भक्ति मार्ग

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के वालकेश्वर स्थित पौराणिक बाणगंगा तालाब का बीएमसी की तरफ से जीर्णोद्धार किया जा रहा है. इस तालाब के पौराणिक महत्व यह है कि वनवास के दौरान यहां बने राम कुंड में भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का तर्पण किया था. समुद्र के किनारे मीठा पानी नहीं मिलने पर लक्ष्मण ने बाण मारकर मीठा पानी निकाला था. आज भी यहां से लगातार मीठा पानी निकलता है.इसके पौराणिक महत्व को देखते हुए बीएमसी इसे वाराणसी के बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरीडोर की तरह भक्ति मार्ग कोरीडोर विकसित करने जा रही है. (The Banganga pond in Mumbai, where Laxman shot sweet water with his arrow on the sea shore, is being renovated. Bhakti Marg will be developed on the lines of Varanasi)

बीएमसी के अनुसार तालाब का जीर्णोद्धार और भक्ति मार्ग का तीन चरणों में विकास किया जा रहा है. तालाब के जीर्णोद्धार के  पहले चरण का कार्य जल्द ही पूरा हो जाएगा. डी विभाग के सहायक आयुक्त शरद उघड़े ने बताया कि वर्तमान में तालाब क्षेत्र में ऐतिहासिक 16 दीपस्तंभों है को उनके मूल स्वरूप में लाने का काम शुरू है. तालाब से कीचड निकालने और पत्थर की सीढ़ियों की मरम्मत और सुधार, तालाब के चारों ओर गोलाकार सड़क को ‘भक्ति परिक्रमा मार्ग‘ के रूप में विकसित करना, स्वीकृत सड़क संरेखण के साथ बाणगंगा झील के लिए 18.30 मीटर चौड़े ‘मिसिंग लिंक’ का विकास, पत्थर की सीढ़ियों पर अतिक्रमण हटाने का काम चल रहा है.

बाणगंगा  को महाराष्ट्र सरकार द्वारा महाराष्ट्र प्राचीन स्मारक और पुरातात्विक स्थल और खंडहर अधिनियम, 1960 के तहत एक संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है. इस तालाब के चारों ओर मंदिर, समाधि, धर्मशालाएं, मठ हैं और यह स्थान राष्ट्रीय महत्व का सांस्कृतिक केंद्र है. तालाब के निकट वेंकटेश बालाजी मंदिर, सिद्धेश्वर शंकर मंदिर, राम मंदिर, बजरंग अखाड़ा, वालुकेश्वर मंदिर आदि प्रसिद्ध मंदिर हैं. बाणगंगा झील का प्राचीन काल से ही धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व होने के कारण इस स्थान पर धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं. इस तालाब के प्राचीन महत्व को देखते हुए हजारों विदेशी पर्यटक यहां आते हैं.
बाणगंगा के ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक और पौराणिक महत्व को ध्यान में रखते हुए, महाराष्ट्र सरकार ने 15 नवंबर 2022 को बाणगंगा तालाब (वालकेश्वर, मालाबार हिल) क्षेत्र को ‘बी’ श्रेणी पर्यटन स्थल घोषित किया है.
सहायक आयुक्त  शरद उघड़े ने बताया कि बाणगंगा तालाब का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है. इस तालाब के निशान ग्यारहवीं शताब्दी के पौराणिक संदर्भों में पाए जाते हैं. इस क्षेत्र में विभिन्न देवी-देवताओं के मंदिर, राम कुंड आदि धार्मिक स्थल भी हैं.
तालाब के जीर्णोद्धार के लिए पुरातत्व विभाग और गौड़ सारस्वत ब्राह्मण मंदिर ट्रस्ट का सहयोग मिल रहा है. इसी के अनुरूप पूरे क्षेत्र का विकास किया जा रहा है. पहले चरण में तालाब तक पहुंचने वाली सीढ़ियों पर स्थित 13 झोपड़ियों को हटा दिया गया और निवासियों को स्लम पुनर्वास प्राधिकरण की पास की इमारत में पुनर्स्थापित किया गया. मनपा प्रशासन को इसके लिए कोई मुआवजा नहीं देना पड़ा= यहां के लैंप पोस्टों को पुनर्जीवित करते समय, उस समय उपयोग की जाने वाली प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी मौलिकता को नुकसान न पहुंचे और वे अपनी मूल स्थिति में दिखें.पुनर्निमाण करते समय सीमेंट की जगह उड़द दाल, मेथी, जवा, गुड़, बेलफल से तैयार मिश्रण का उपयोग किया जा रहा है है. तालाब से गाद निकालने के दौरान तालाब की तलहटी और इसके आसपास मौजूद प्राचीन पत्थरों को नुकसान न पहुंचे, इसके लिए पुरातत्व विभाग के मार्गदर्शन में कुशल जनशक्ति की मदद से गाद को हटाया जा रहा है.
तीन चरणों में होगा कायाकल्प एवं सौंदर्यीकरण
बाणगंगा तालाब का जीर्णोद्धार एवं सौन्दर्यीकरण तीन चरणों में किया जायेगा. इनमें पहले चरण में, बाणगंगा तालाब में पत्थर की सीढ़ियों का सुधार, झील के चारों ओर लैंप पोस्टों का जीर्णोद्धार, आकर्षक विद्युत प्रकाश व्यवस्था, झील के चारों ओर गोलाकार सड़क को ‘भक्ति मार्ग’ के रूप में विकसित करना, बाणगंगा के लिए 18.30 मीटर चौड़ा ‘लापता लिंक’ शामिल है. स्वीकृत सड़क लाइन से तालाब का विकास, तालाब की पत्थर की सीढ़ियों पर अतिक्रमण हटाना आदि कार्य किये जायेंगे.
दूसरे चरण में, बाणगंगा झील के सामने की इमारतों के मुखौटे को एक समान तरीके से चित्रित किया जाएगा, झील से सटे भवनों की दीवारों पर भित्ति चित्र और मूर्तियां चित्रित की जाएंगी, रामकुंड के ऐतिहासिक और पवित्र स्थल का पुनरुद्धार किया जाएगा। झील क्षेत्र में मंदिरों के विकास की योजना योजनाबद्ध तरीके से बनाई जाएगी और बाणगंगा झील तक जाने वाले पत्थरों के निर्माण कार्य में सीढ़ियों और सड़कों का सुधार आदि शामिल है.
तीसरे चरण में बाणगंगा झील और अरब सागर के बीच एक विस्तृत गलियारा बनाकर उक्त क्षेत्र में झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोगों का पुनर्वास करना, वाराणसी की तर्ज पर पार्क, खुली बैठक व्यवस्था, सार्वजनिक स्थान बनाना शामिल है. भगवानलाल इंद्रजीत मार्ग का चौड़ीकरण और सड़क लाइन के किनारे प्रभावित आवासीय और गैर-आवासीय संरचनाओं का पुनर्वास जैसे कार्य किए जाएंगे.

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