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सहायक औषधि नियंत्रक पनवेल कार्यालय के तीन अधिकारी गिरफ्तार, बुधवार को सीबीआई ने एडीसी ऑफिस में डाली थी रेड
मोटी रकम लेकर बिना लाइसेंस वाली दवाओं, उपकरणों के निर्यात की दे रहे थे अनुमति

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने रिश्वतखोरी के मामले में महाराष्ट्र के पनवेल में सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) कार्यालय के तीन अधिकारियों को गिरफ्तार किया है.(Three officers of Assistant Drug Controller Panvel office arrested)
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के सहायक औषधि नियंत्रक के पनवेल कार्यालय में “बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार” के बारे में सूचना मिली थी. उन्होंने बताया कि सीबीआई और सतर्कता विभाग के कर्मियों ने 2 अप्रैल को एक औचक जांच की और इस दौरान यह सामने आया कि कई निजी व्यक्ति अपने ग्राहकों के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की सुविधा के नाम पर कस्टम हाउस एजेंटों (सीएचएएस) से संदिग्ध अधिकारियों की ओर से रिश्वत ले रहे थे. एडीसी पर आरोप है कि इन्होंने कुछ कंपनियों को गैर लाइसेंसी दवाओं और उपकरणों के निर्यात की अनुमति देकर मोटी कमाई कर रहे थे. ऑल फूड एंड ड्रग्स लाइसेंस होल्डर फाउंडेशन के अध्यक्ष अभय पांडे की शिकायत पर सीबीआई ने यह कार्रवाई की है.
एजेंसी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “औचक निरीक्षण के दौरान सरकारी कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों के दराजों से लगभग 1.52 लाख रुपए की नकदी बरामद की गई, जिसका संबंधित सरकारी कर्मचारी और कार्यालय में मौजूद निजी व्यक्ति संतोषजनक ढंग से ब्योरा नहीं दे सके.
सीबीआई के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, “कार्यालय में मौजूद कर्मचारी और निजी व्यक्ति संतोषजनक ढंग से स्पष्टीकरण नहीं दे सके. उन्होंने कहा कि संदिग्ध सरकारी कर्मचारियों ने कथित तौर पर एनओसी जारी करने के लिए सीएचए या उनके प्रतिनिधियों से सीधे या निजी व्यक्तियों के माध्यम से रिश्वत के रूप में बेहिसाब धन स्वीकार किया था.
प्रवक्ता ने बताया कि जांच के आधार पर सीबीआई ने सहायक औषधि नियंत्रक अरविंद आर हिवाले, औषधि निरीक्षक देवेंद्र नाथ और अधीनस्थ कर्मचारी नागेश्वर एन सब्बानी के खिलाफ मामला दर्ज किया है. ये सभी सीडीएससीओ (CDSCO) के सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) के पनवेल कार्यालय में तैनात हैं. इसके अलावा तीन निजी व्यक्तियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है.इन लोगों में से एक संविदा पर काम करता है.
उन्होंने बताया कि बाद में तीनों अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उनके आवासों की तलाशी में 46.70 लाख रुपए की नकदी और करीब 27.80 लाख रुपए के आभूषण बरामद हुए. प्रवक्ता ने बताया कि विभिन्न अचल संपत्तियों से संबंधित दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए गए.
सीबीआई द्वारा आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर में कहा गया है कि मेसर्स जेडब्ल्यूआर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, 15-45, राष्ट्रीय राजमार्ग 4 बी, पनवेल-जेएनपीटी राजमार्ग, गांव-पड़ेघर, पोस्ट-वाहल, पनवेल में सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) कार्यालय में तैनात कुछ लोक सेवक, फार्मास्युटिकल दवाओं के निर्माताओं, निर्यातकों और आयातकों को अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) देने के लिए 100 रुपए से 5000 रुपए और उससे अधिक का अनुचित लाभ उठाकर भ्रष्ट आचरण में लिप्त हैं. इस तरह के अनुचित लाभ सीएचए या उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से प्राप्त किए जा रहे हैं, जो अपने ग्राहकों की ओर से उनके नियमित कार्यों के लिए सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) कार्यालय आते थे.
सीबीआई अधिकारियों के साथ अधीनस्थ कर्मचारियों, सतर्कता महानिदेशालय (सीबीआईसी), पश्चिम क्षेत्रीय इकाई, मुंबई, के अधिकारियों और पंच गवाहों की एक टीम ने सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) के कार्यालय मेसर्स जेडब्ल्यूआर लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड, पनवेल में संयुक्त सरप्राइज चेक (जेएससी) किया. जेएससी के दौरान, सहायक औषधि नियंत्रक (भारत) के कार्यालय के अंदर सरकारी कर्मचारियों के दराजों, उनके बैग/हैंड बैग आदि से 67,400 रुपए की नकदी पाई गई, जिसके बारे में सहायक औषधि नियंत्रक और अन्य संबंधित व्यक्ति संतोषजनक ढंग से स्पष्टीकरण नहीं दे सके.
सीबीआई ने अरविंद आर. हिवाले, सहायक औषधि नियंत्रक, देवेंद्र नाथ, औषधि निरीक्षक, नागेश्वर एन. सब्बानी, संगणक, सर्वेश बबन गायकवाड़, तकनीकी डेटा एसोसिएट्स, ज्ञानेश्वर कोंडे, इंक शिपिंग, एक निजी व्यक्ति, दत्ता पटाडे, निजी व्यक्ति, सीएचए मेसर्स के प्रतिनिधि अन्य अज्ञात कर्मचारी और अन्य अज्ञात निजी व्यक्ति, पीसी अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7, 7ए और 12 के तहत आईपीसी की धारा 120-बी और उसके मूल अपराधों के तहत एक नियमित मामला दर्ज किया गया है.
गौरतलब हो कि अभय पांडे ने 17 जनवरी को सेंट्रल ड्रग स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन और मेल भेज कर दवाओं के इस गोरखधंधे की शिकायत की थी. शिकायत में कहा गया था कि एमडी 15 और एमडी 5 लाइसेंस की जांच की आड में निर्यात खेप को रोक रहे हैं और पैसे लेकर गैर लाइसेंसी दवाओं को अनुमति दे रहे हैं.