भारत एक बड़ी समुद्री शक्ति की ओर बढ़ रहा है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
दो युद्धपोत और एक अत्याधुनिक पनडुब्बी राष्ट्र को समर्पित

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. नीलगिरी, सूरत विध्वंसक पोत और वाघशीर पनडुब्बी का जलावतरण एक ऐतिहासिक घटना है जो नौसेना की गौरवशाली परंपरा को उसकी भविष्य की आकांक्षाओं से जोड़ती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इससे भारत एक बड़ी समुद्री शक्ति की ओर बढ़ रहा है और भारत की सुरक्षा और प्रगति को बहुत ताकत मिली है. India is moving towards becoming a major maritime power: PM Modi
भारत में निर्मित तीन महत्वपूर्ण जहाज सूरत और नीलगिरी (युद्धपोत) और वाघशीर (पनडुब्बी) को प्रधानमंत्री ने मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में आयोजित एक समारोह में राष्ट्र को समर्पित किया. इस अवसर पर राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन , मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस , रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह , रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ , उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे , उपमुख्यमंत्री अजीत पवार , नौसेना प्रमुख दिनेश कुमार त्रिपाठी उपस्थित थे.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत पूरे विश्व को एक परिवार मानकर विकास की भावना से काम कर रहा है. नौसेना में तीन प्रमुख युद्धपोतों को शामिल करना एक मजबूत और आत्मनिर्भर रक्षा बल बनाने के लिए भारत की अटूट प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है. भारत हिंद महासागर क्षेत्र में प्रथम प्रत्युत्तर देने के रूप में उभरा है. नौसेना ने कई लोगों की जान बचाई है और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कार्गो सुरक्षित किया है. इससे दुनिया भर में भारत के प्रति विश्वास बढ़ा है और आज भारत विश्व स्तर पर , विशेषकर ‘ग्लोबल साउथ’ में एक विश्वसनीय और जिम्मेदार भागीदार के रूप में पहचाना जाता है. उन्होंने कहा कि तीन युद्धपोतों का राष्ट्र को समर्पित होना अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सैन्य दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है.
जल , थल , वायु , गहरा समुद्र या अनंत अंतरिक्ष सभी क्षेत्रों में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी तीनों सेनाओं के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने की सराहनीय प्रक्रिया जारी रखी है. इस अवसर पर, प्रधानमंत्री मोदी ने उल्लेख किया कि भारतीय नौसेना ने छत्रपति शिवाजी महाराज की पवित्र भूमि पर आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, क्योंकि विध्वंसक, युद्धपोत और पनडुब्बियां एक ही समय में चालू हो रही हैं. भारतीय सैन्य उपकरण अब भारतीय सैनिकों के लिए उपलब्ध हैं और रक्षा उपकरण 100 से अधिक देशों को निर्यात किए जा रहे हैं. मोदी ने कहा कि इसके माध्यम से ‘मेक इन इंडिया’ योजना का विस्तार हो रहा है और आर्थिक प्रगति के द्वार खुल रहे हैं तथा भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने में बड़ा योगदान मिल रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारतीय समुद्री क्षेत्र में देश की ताकत और महत्व बढ़ गया है क्योंकि एक ही समय में राष्ट्र को तीन युद्धपोतों को देश को समर्पित किया गया. इस सेक्टर से बड़ा व्यापार हो रहा है और भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है. इस मौके पर उन्होंने कहा कि आधुनिकीकरण पर जोर दिया जा रहा है और ये तीनों युद्धपोत इसमें सक्षम हैं.
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि यह नौसेना के लिए गौरव और सम्मान का दिन है, यह अवसर ताकत, क्षमता और आत्मनिर्भरता का जश्न मनाता है.
युद्धपोतों के बारे में संक्षेप वर्णन
आईएनएस सूरत – यह परियोजना का चौथा और अंतिम जहाज है और दुनिया के सबसे बड़े और सबसे परिष्कृत विध्वंसक जहाजों में से एक है. जहाज में 75 प्रतिशत स्वदेशी घटक हैं और इसमें परिष्कृत हथियार-सेंसर सिस्टम और उन्नत नेटवर्क-केंद्रित क्षमताएं हैं.
आईएनएस वाघशीर – यह स्कॉर्पीन परियोजना की छठी और अंतिम पनडुब्बी है. यह पनडुब्बी निर्माण में भारत की बढ़ती विशेषज्ञता का प्रतिनिधित्व करता है. इसे फ्रांस के नेवल ग्रुप के सहयोग से विकसित किया गया है.
आईएनएस नीलगिरि – यह स्टील्थ युद्धपोत परियोजना का पहला जहाज है. इसे भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया था. इसमें स्थायित्व , समुद्र में स्थिरता और गोपनीयता की उन्नत विशेषताएं हैं, जो स्वदेशी युद्धपोतों की अगली पीढ़ी को दर्शाती हैं.