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मुंबई पुलिस का स्याह चेहरा (भाग 3)

वजे मामले निलंबित डीसीपी मनेरे की एक और करतूत

महालक्ष्मी गृहनिर्माण घोटाले के आरोपियों को बचाने में थे लिप्त
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. तिलक नगर स्थित महालक्ष्मी सहकारी गृहनिर्माण में हुए घोटाले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के तत्कालीन डीसीपी पराग मनेरे की एक और करतूत का खुलासा हुआ है. पराग मनेरे, पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह व इंस्पेक्टर सचिन वजे प्रकरण में परमवीर सिंह के साथ निलंबित  किए गए हैं.
म्हाडा के उपसमाज विकास अधिकारी युवराज संदीपान सावंत के अनुसार पूर्व इंस्पेक्टर अनिल जैतापकर और मेसर्स. बायोबिल्ड डेवलपर का घोटाला करोडों में होने के कारण मामले तिलक नगर पुलिस ने आर्थिक अपराध शाखा को रीफर कर दिया था. आरोपी जैतापकर एवं अन्य ने अग्रिम जमानत के लिए सेशन कोर्ट गए जहां उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी. फिर सभी आरोपी हाईकोर्ट गए. हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका को इस टिप्पणी के साथ रिजेक्ट कर दिया कि
 याचिकाकर्ता (म्हाडा)  ने आरोपियों की जमानत का  यह कहते हुए विरोध किया कि आरोपियों ने बड़े अमाउंट  के साथ अनियमितता की संलिप्तता स्वीकार किया है.  मामले की कस्टोडियल जांच जरूरी है अन्यथा जांच पूरी नहीं होगी. पुलिस मेसर्स. बायोबिल्ड डेवलपर के साथ हुए ओरिजनल  एफीडेविट और एग्रीमेंट रिकवर करना चाहती है. साथ ही उन कागजातों को भी जो म्हाडा की अनुमति के बिना टेनामेंट को ट्रांसफर किए गए हैं. यह केस में अग्रिम जमानत देने के ठीक नहीं है इसलिए अग्रिम जमानत को खारिज किया जाता है.
हाईकोर्ट और सेशन कोर्ट में आरोपियों की अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों को आरोपियों को गिरफ्तार कर एक सरकारी एजेंसी के साथ हुए करोड़ों रुपए के फ्राड को उजागर करना था. लेकिन मामले के जांच करने वाले अधिकारी आर्थिक अपराध शाखा के पुलिस इंस्पेक्टर प्रदीप केरकर वरिष्ठ निरीक्षक जावलकर, और डीसीपी पराग मनेरे ने अनिल जैतापकर एवं अन्य आरोपियों को कभी गिरफ्तार नहीं किया और न ही करोडों के घोटाले में पूछताछ  की. सावंत ने बताया कि उनकी गिरफ्तारी के बाद आर्थिक अपराध शाखा के  इन अधिकारियों ने बिना ओरिजनल कागजातों को देखे बिना  आरोपियों पर तिलक नगर पुलिस में दर्ज भादंवि की गंभीर धाराओं  464,465,467,468,471 को हटा कर धारा 406,423 ,34 के साथ जल्दबाजी में किला कोर्ट में चार्ज शीट फाइल कर दिये. इस मामले में संलिप्त रहे दूसरे आरोपियों के भी नाम निकाल दिए. गैरजमानती धाराओं के हटते ही आरोपी को जमानत मिल गई.
म्हाडा की जिस जमीन पर बनी इमारत में 150 करोड़ रुपये का फ्राड हुआ, उस इमारत में 46 फ्लैट और 6 दुकानें बाजार भाव से अपात्र लोगों को बेच दी गई. बिल्डर के साथ चेयरमैन अनिल जैतापकर ने क्या करार किया था पुलिसकर्मियों की लापरवाही और लालच की वजह से आज तक गुलदस्ते में ही है.
  सावंत ने पुलिस कमिश्नर को इस बारे में कई पत्र लिखे. उसके बाद भी कार्रवाई नहीं हुई. सावंत ने कहा कि आरोपियों पर लगाई गई गंभीर धाराओं ओर अन्य आरोपियों के नाम  बिना डीसीपी की सहमति से नहीं हटाई जा सकती. इसमें डीसीपी मनेरे के पूरे सहयोग के बिना यह संभव नहीं था. आज तक आरोपियों पर कार्रवाई नहीं हुई है. गंभीर धाराओं को हटाने के बाद आरोपियों को  कोर्ट से जमानत मिल गई. पुलिस कमिश्नर को लिखे पत्र में सावंत ने अनिल जैतापकर सहित आर्थिक अपराध शाखा के अधिकारियों ,डेप्युटी रजिस्टार के भ्रष्टाचार करने के लिए आईपीसी की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत कार्रवाई की मांग की है.
निलंबित चल रहे मनेरे
सचिन वाजे मामले में के बाद पूर्व पुलिस कमिश्नर परमवीर सिंह के पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ वसूली का आरोप के बाद राज्य सरकार ने पुलिस अधिकारियों की जांच शुरु की. उस समय ठाणे जिले में तैनात डीसीपी पराग मनेरे को भी परमवीर स़िंह के साथ निलंबित कर दिया गया था. वे अभी तक निलंबित चल रहे हैं.
  शेष अगले अंक में….. पढ़े एससीएसटी आयोग ने सावंत की शिकायत पर क्या आदेश दिया.

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