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बीएमसी ने मुंबई की पहली घोड़ा हिंडोला परियोजना पर लगाई रोक

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई महानगरपालिका ने कुलाबा में प्रस्तावित पहले घोड़ा हिंडोला परियोजना ( Horse Carousel ) पर रोक लगा दी है. इससे कुलाबा को पर्यटन क्षेत्र बनाने को झटका लगा है. इससे पहले बीएमसी काला घोड़ा, कुलाबा कॉजवे, रीगल जंक्शन और गेटवे ऑफ इंडिया परियोजना को भी स्थगित कर दिया था. (BMC puts a halt on Mumbai’s first horse carousel project)
 बीएमसी के पूर्व नगरसेवक मकरंद नार्वेकर ने कुलाबा में लंबित घोड़ा हिंडोला परियोजना के संबंध में बीएमसी प्रमुख को पत्र लिखा है, जिसमें आरोप लगाया है कि कुलाबा विरोधी पूर्वाग्रह के कारण पर्यटक और नागरिक-अनुकूल पर्यटन क्षेत्र बनने से रोक रहा है.
नार्वेकर ने अपने पत्र में कहा कि इस परियोजना को बीएमसी के मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल विभाग द्वारा मंजूरी दे दी गई है. लेकिन अब यह प्रोजेक्ट भी काला घोड़ा, कोलाबा कॉजवे, रीगल जंक्शन और गेटवे ऑफ इंडिया प्रोजेक्ट की तरह ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है. मैंने पर्यटकों को इस मैदान पर वापस लाने के लिए कूपरेज मैदान में बच्चों के खेलने के लिए सभी आवश्यक सुविधाओं के साथ एक हिंडोला स्थापित करने का प्रस्ताव रखा था. हिंडोला, जिसे मैरी-गो-राउंड भी कहा जाता है, एक सवारी है जिसमें एक वृत्त के आकार में घूमने वाला मंच होता है. हिंडोला में ऑटोमोबाइल, ट्रेन और जानवरों जैसी वस्तुओं के समान डिज़ाइन किए गए स्थान होते हैं. हिंडोले पर दिखने वाले जानवर घोड़े, हाथी और हंस हो सकते हैं.
नार्वेकर ने कहा कि वह नागरिकों के कल्याण के लिए इस योजना को आगे बढ़ाएंगे. लेकिन सवाल खड़ा हो गया है कि क्या बीएमसी महज 2 करोड़ रुपए की योजना में बच्चों को खुशी और हंसी से वंचित कर रही है. नार्वेकर ने कहा कि बीएमसी का कुलाबा विरोधी पूर्वाग्रह कोलाबा को पर्यटक और नागरिक-अनुकूल स्थान बनने की राह में बाधा बन रहा है.
नार्वेकर द्वारा बीएमसी आयुक्त भूषण गगरानी को लिखे पत्र में कहा गया कि कोलाबा के कूपरेज ग्राउंड में हिंडोला एक पर्यटक-अनुकूल गतिविधि है. यह मैदान ऐतिहासिक रूप से हॉर्स गार्डन के नाम से जाना जाता था. इसलिए कूपरेज में घोड़ों के साथ मुंबई का पहला हिंडोला रखने की योजना बनाई गई. उन्होंने ए वार्ड के सहायक आयुक्त के साथ हुए पत्राचार का हवाला देते हुए कहा, कूपरेज मैदान को उसका पुराना गौरव लौटाने की योजना बनाई गई थी. दुर्भाग्य से यह पहले भी ठंडे बस्ते में डाल दी गई. कुछ साल पहले इस मैदान में घुड़सवारी बंद कर दी गई थी.

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