महाराष्ट्र में महायुति की प्रचंड विजय, महाविकास आघाड़ी के पास विरोधी पक्ष नेता बनाने के पर्याप्त सीटें नहीं

सत्तारूढ़ महायुति की भाजपा 149 सीट पर चुनाव लड़ी, एकनाथ शिंदे नीत शिवसेना 81 और अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 59 सीट पर चुनाव लड़ी. महाविकास आघाड़ी में शामिल कांग्रेस 101 पर, शिवसेना (उबाठा) 95 और एनसीपी (शरदचंद्र पवार) 86 सीट पर चुनाव लड़ा. जब चुनाव परिणाम आए तो एमवीए के विपक्ष का नेता चुनने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं मिली.
महाविकास आघाड़ी दलों ने इतनी बुरी हार की अपेक्षा नहीं की थी. लोकसभा में 39 सीट जीतने वाला एमवीए लोकसभा के चुनावी पैटर्न को दोहराने के आत्मविश्वास में चूर था, एमवीए दलों का चुनाव प्रचार उसी के आस पास रहा लेकिन महायुति के नेताओं ने नया नैरेटिव सेट कर एमवीए को गच्चा दे गया.
इन मुद्दों पर पलट गया पासा
महायुति ने “लाडकी बहिन योजना’ के तहत राज्य की 18 से 60 वर्ष तक की महिलाओं को 1500 रुपए देकर महिलाओं के 6% वोट अपनी झोली में डाल लिए. लोकसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाकों में एमवीए उम्मीदवारों को मिले 90% अधिक वोटों की काट के लिए ‘वोट जिहाद‘ का नारा बुलंद किया. बंटेंगे तो कटेंगे, एक हैं तो सेफ हैं का नारा देकर बहुसंख्यक वोटों को अपने पाले में खींचने में कामयाब रहे. लोकसभा चुनाव में भाजपा की नीतियों से नाराज होकर आरएसएस का कैडर चुनाव में काम नहीं किया. लेकिन विधानसभा चुनाव में आरएसएस का पूरा कैड़र सक्रिय होकर काम कर रहा था, इन मुद्दों के चलते महायुति की पूरी बाजी पलट गई.
शिवसेना उबाठा का वोट ट्रांसफर नहीं हुआ
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का वोट शिवसेना को ट्रांसफर हुआ, लेकिन शिवसेना उबाठा का पूरा वोट पूरी तरह कांग्रेस या एनसीपी एसपी को ट्रांसफर नहीं हुआ. जबकि इसके विपरीत भाजपा को वोट शिवसेना, और राकांपा को और इन दलों का वोट भाजपा को ट्रांसफर हुआ. एक दूसरे का वोट ट्रांसफर बड़ी जीत में बदल गई.




