
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. उत्तर प्रदेश चुनाव पर पूरे देश ही नहीं दुनिया की निगाहें लगी थी. एक महीना से अधिक चले चुनावी प्रचार के 10 मार्च को सबकी निगाहें उपर-नीचे हो रहे आंकड़ों पर टिकी हुई थीं. चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के साथ समर्थकों के दिल की धड़कन भी तेज हो गई थी. आखिरी सीट के नतीजों के साथ मनमस्तिष्क पर छाये गहरे काले बादल छंट चुके हैं. अब चर्चा यह हो रही है कि दुबारा भारी बहुमत से जीत कर आये योगी मंत्रिमंडल में किस विधायक की लॉटरी लगेगी. चुनाव से पहले सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के आभासी जीत की लालच में पाला बदलने वाले 21 विधायकों का भी हाल जानना जरुरी है कि आखिर उनका क्या हश्र हुआ. तो हम आपको बता देते हैं कि पाला बदलने वाले 21 में से 17 को हार का मुंह देखना पड़ा है.
विधानसभा चुनाव नतीजे भारतीय जनता पार्टी के लिए तो खुशखबरी लाए, लेकिन चुनाव से ऐन पहले दलबदल करने वाले ज्यादातर विधायकों का दांव खाली गया. ऐसे करीब 80 प्रतिशत जनप्रतिनिधि सियासी संग्राम में सफलता हासिल नहीं कर सके. दलबदल कर विभिन्न राजनीतिक दलों का हाथ थामने वाले इन 21 विधायकों में से सिर्फ चार को ही जीत नसीब हुई है. पाला बदलने वाले इन विधायकों में से 9 भाजपा जबकि 10 सपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे थे. दो विधायकों ने क्रमशः अपना दल (एस) व वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ा था.
जिन प्रमुख नेताओं को हार का सामना करना पड़ा उनमें उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य व धर्म सिंह सैनी के अलावा बरेली की पूर्व महापौर सुप्रिया ऐरन शामिल हैं. ये नेता चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे.
अदिति सिंह (रायबरेली), अनिल कुमार सिंह (पुरवा) और मनीष कुमार (पड़रौना) ने दलबदल के बाद भाजपा के टिकट पर चुनाव में जीत हासिल की. जबकि योगी आदित्यनाथ सरकार में मंत्री रहे दारा सिंह चौहान ने चुनाव से ठीक पहले सपा का हाथ थामा व घोसी सीट से विजयी रहे.
अदिति सिंह ने हाल ही में कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था और उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की लोकसभा सीट के अंतर्गत आने वाली विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था. हालांकि राकेश सिंह भाजपा के टिकट पर रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली हरचंदपुर विधानसभा सीट से जीत हासिल करने में विफल रहे.
उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) गठबंधन ने 273 सीट जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) नीत गठबंधन ने 125 सीट पर जीत हासिल की है.
दलबदल के बाद जिन विधायकों ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत नहीं सके उनमें राकेश सिंह (हरचंदपुर), नरेश सैनी (बेहट) वंदना सिंह (सगड़ी), रामवीर उपाध्याय (सादाबाद), सुभाष पासी (सैदपुर) और हरिओम यादव (सिरसागंज) शामिल हैं.
पाला बदलकर सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत से वंचित रहे विधायकों में ब्रजेश प्रजापति (तिंदवारी) रौशन लाल वर्मा (तिहर), भगवती सागर (घाटमपुर), दिग्विजय नारायण (खलीलाबाद), माधुरी वर्मा (नानपारा) और विनय शंकर त्रिपाठी (चिल्लूपार) शामिल हैं.
रामपुर की स्वार सीट पर कांग्रेस का टिकट ठुकराकर भारतीय जनता पार्टी के गठबंधन में अपना दल (एस) से चुनाव मैदान में उतरे नवाब परिवार के हैदर अली खान को सपा उम्मीदवार आजम खान ने 61 हजार मतों से हराया.
बैरिया विधानसभा क्षेत्र में 2017 में भाजपा से चुनाव जीते सुरेंद्र सिंह इस बार टिकट नहीं मिलने पर विद्रोह कर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतरे, लेकिन मतदाताओं ने उन्हें तीसरे नंबर पर धकेल दिया.




