मुंबई में कई गुना बढ़ गए आत्महत्या के केस
अकेले लोकमान्य तिलक सायन अस्पताल में 15 प्रतिशत की वृद्धि

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. पिछले ढ़ाई साल से कोरोना का दंश झेल नागरिकों को कोरोना से राहत मिलती दिख रही है. लेकिन कोरोना के साइड इफेक्ट्स से चिकित्सक भी हैरान रह गए हैं. मुंबई में कोरोना के केसेस अब भले कम हो गए हैं लेकिन उसके कारण आत्महत्या (Suicide cases increased manifold in Mumbai) के केस तेजी से बढ़े हैं. मुंबई के सायन स्थित लोकमान्य तिलक अस्पताल में ही पहले की अपेक्षा 15 से फीसदी केस बढ़ गए हैं.
सायन अस्पताल मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. नितिन कर्णिक ने ‘इनसाइट न्यूज स्टोरी’ से बातचीत में बताया कि कोविड के वेरिएंट आते रहेंगे , लोगों में अब कोविड का कोई भय भी नहीं है लेकिन कोविड के कारण लोगों पर गहरा मानसिक तनाव स्पष्ट दिखाई दे रहा है. डॉ. कर्णिक के अनुसार सायन अस्पताल के आईसीयू में 1600 मरीज भर्ती किए जाते हैं. जिसमें से 15 से 16 फीसदी मरीज पेस्टीसाइड के होते हैं. अस्पताल के ट्रामा सेंटर में बेहतरीन उपकरणों के अलावा उपचार की सुविधाएं भी बेहतरीन हैं. इसलिए यहां अधिक केसेस आते हैं. लेकिन कोविड के बाद प्वाइजनिंग के केस में इजाफे से मैं हैरान हूं.
मानसिक परेशानी की वजह से आत्महत्या का बढ़ा रुझान
कोरोना संकट ने लोगों की मानसिकता पर अहर डाला है. कोरोना में नौकरी छूटने, पारिवारिक झगड़े, छोटी- छोटी बातों पर अत्यधिक गुस्से के कारण लोग इस तरह के कदम उठा लेते हैं. मानसिक तनाव में होने के कारण जहर पीने के केसेस आ रहे हैं. जो पहले की तुलना में काफी अधिक हैं. जिनके व्यवहार में अनावश्यक रूप से बदलाव दिखाई दे ऐसे लोगों को मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.
15 से 20 आयु वर्ग में बढ़ी आत्महत्या की प्रवृत्ति
डॉ. कर्णिक ने बताया कि कोरोना से आईसीयू में भर्ती होने वाले मरीजों से अधिक प्वाइजनिंग के केसेस ज्यादा आ रहे हैं. जहर पीने वालों में सबसे अधिक केस 21 से 40 आयु वर्ग के हैं. उसके बाद 15 से 20 आयु वर्ग के केसेस भी देखने को मिल रहे हैं जो असाधारण रूप से बढ़ गए हैं. बच्चों में आत्महत्या की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ रही है. परिवार द्वारा बच्चों की मांग पूरी नहीं किए जाने पर जहर पीने जैसे कदम उठा रहे हैं. डॉ. कर्णिक ने कहा कि एक 15 साल का लड़का घर से मोबाइल नहीं मिलने के कारण जहर पी लिया. नौकरी जाने की वजह से परिवार की स्थिति मोबाइल खरीदने की नहीं थी.
पेस्टीसाइड खाने के केस अधिक
मेडिकल की दुकानों पर पेस्टीसाइड आसानी से उपलब्ध हो जाती है. उसमें चूहों को मारने की दवा तो हर कहीं उपलब्ध है. लोग उसका सेवन कर आत्महत्या करने की कोशिश करते हैं. दुकानों पर दूसरे पेस्टीसाइड भी उपलब्ध हैं. ऐसे केसेस के लिए हमारे पास इलाज की सुविधाएं हैं. कभी-कभी मुंबई से बाहर के केस भी लाए जाते हैं. जान बचाने में ज्यादातर मामलों में हम कामयाब होते हैं. उन्होंने कहा कि परिवार के लोगों बच्चों को समझाने की जरुरत है. गुस्से में आकर इस तरह का कदम उठा लेना ठीक नहीं है.




