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वर्ष 2017 में वार्ड पुनर्गठन के आधार पर होगा चुनाव/महाराष्ट्र में ओबीसी आरक्षण का रास्ता साफ

बंठिया आयोग की रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार किया

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. महाराष्ट्र निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण के साथ चुनाव कराने का रास्ता साफ (Elections will be held on the basis of ward reorganization in the year 2017 / Clear the way for OBC reservation in Maharashtra) हो गया है. राज्य सरकार द्वारा इम्पिरिकल डाटा के लिए नियुक्त बंठिया आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह में 367 निकायों के चुनाव कराने का आदेश दिया है. खास बात यह कि मनपा चुनाव वर्ष 2017 में हुए परिसीमन के आधार पर ही होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
वर्ष 2017 परिसीमन के आधार पर चुनाव कराएं=
– राज्य चुनाव आयोग को उपयुक्त कार्यक्रम की घोषणा करनी चाहिए उसी के आधार पर चुनाव कराना चाहिए.
– ओबीसी आरक्षण को लेकर आज लेंगे निश्चित फैसला
– कोर्ट को गुमराह न करें, कोर्ट के सख्त आदेश
– चुनाव होने चाहिए, कई बार अलग-अलग कारण बताए जा रहे हैं. चुनाव रुके हुए हैं. इसलिए चुनाव होने ही चाहिए.
– बंठिया आयोग की सिफारिशों पर पिछड़ा वर्ग आयोग को निर्णय लेना चाहिए=2 सप्ताह में चुनाव कराएं
बंठिया आयोग की रिपोर्ट के मुद्दे
 राज्य सरकार ने अनुभवजन्य डेटा एकत्र करने के लिए बंंठिया आयोग का गठन किया था. इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. बंठिया आयोग के अनुसार, यह उल्लेख किया गया है कि राज्य में औसत ओबीसी जनसंख्या 37 प्रतिशत है. बंठिया आयोग ने वोटर लिस्ट के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है.
राज्य में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत राजनीतिक आरक्षण की सिफारिश की गई है लेकिन प्रत्येक जिले में आरक्षण का प्रतिशत अलग-अलग होने जा रहा है. आदिवासी बहुल जिलों में ओबीसी के लिए कोई आरक्षण नहीं है. रिपोर्ट में कहा गया है कि नंदुरबार, पालघर, गढ़चिरौली में ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण नहीं मिलेगा.
– 11 मार्च 2012 को, राज्य सरकार ने स्थानीय स्व-सरकारी निकायों से अनुभवजन्य डेटा प्राप्त करने के लिए जयंतकुमार बंठिया की अध्यक्षता में एक समर्पित आयोग नियुक्त किया.
– बंठिया आयोग ने 7 जुलाई 2022 को अपनी रिपोर्ट और सिफारिशें सरकार को सौंप दीं.
–  बंठिया आयोग ने अपनी सिफारिश में कहा है कि ओबीसी नागरिकों का एक पिछड़ा वर्ग है और वे राजनीतिक रूप से पिछड़े हैं.
 
– सर्वेक्षण रिपोर्ट  के अनुसार मतदाता सूची के अनुसार इस रिपोर्ट में अन्य पिछड़े वर्गों की जनसंख्या 37%  होने का अनुमान है.
 
– हालांकि राज्य में ओबीसी की कुल आबादी 37% है, लेकिन स्थानीय निकायों में इसे अलग तरह से दिखाया गया है.
 
– जिसमें स्थानीय निकाय एस. सी/एस. जहां की जनसंख्या 50% है, वहां OBC के लिए कोई आरक्षण नहीं होगा. इस नियम के अनुसार गढ़चिरौली, नंदुरबार और पालघर जिला परिषदों में ओबीसी के लिए शून्य प्रतिशत आरक्षण होगा. नासिक जिले में भी ओबीसी को आदिवासी तालुका में आरक्षण नहीं मिलेगा.
– बंठिया आयोग ने हर जगह ओबीसी के लिए 27%  आरक्षण की सिफारिश की है, जबकि यह भी निर्धारित किया है कि अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति और ओबीसी की सदस्यता 50% से अधिक नहीं होनी चाहिए.

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