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कैग जांच: बीएमसी अधिकारी और शिवसेना नेता रडार पर
जांच से पहले मनपा कमिश्नर को हटाएं की मांग

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई नगर निगम (BMC) के 12,000 करोड़ रुपए के 76 कार्यों में भ्रष्टाचार की जांच सीएजी (CAG) करेगी. कोरोना के दौरान खर्च किए गए करीब 4 हजार करोड़ रुपए को लेकर नगर पालिका अधिकारी और सत्तारूढ़ शिवसेना जांच के रडार पर होंगे. शिवसेना को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों ने इस जांच का स्वागत किया है. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने जांच से पहले मनपा आयुक्त इकबाल सिंह चहल को हटाने की मांग की है. दोनों दलों की मांग है कि पारदर्शी तरीके से जांच होने के लिए आयुक्त को हटाना जरूरी है नहीं तो वे जांच को प्रभावित कर सकते हैं.
मुंबई नगर निगम द्वारा किए गए व्यय के लिए स्थायी समिति और मनपा सदन के अनुमोदन की आवश्यकता होती है. कोरोना से पहले नगर निगम प्रशासन और सत्ताधारी शिवसेना कई प्रस्तावों को मंजूरी दे चुकी है. मार्च 2020 में, जब कोरोना वायरस का संक्रमण शुरू हुआ, मनपा आयुक्त को खर्च करने की असीमित शक्तियां दी गईं. आयुक्त ने 24 विभागों के सहायक आयुक्तों को कोरोना काल में 25 लाख तक खर्च करने का अधिकार दिया था. जबकि उपायुक्त को एक करोड़ तक के अधिकार दिए गए थे.
इस जांच के दौरान सहायक आयुक्त, उपायुक्त, अतिरिक्त आयुक्त और मनपा आयुक्त रडार पर रहेंगे. मनपा में सत्तारुढ़ पार्टी शिवसेना के स्थायी समिति, सुधार समिति के अध्यक्ष सड़क निर्माण, भूमि खरीद, पुल निर्माण, सड़क मरम्मत पर होने वाले खर्च के लिए रडार पर रहेंगे.
राज्य सरकार द्वारा सीएजी को भेजे गए प्रस्ताव के अनुसार 10 विभागों में 12 हजार 23 करोड़ 88 लाख रुपए की लागत के कार्यों का 28 नवंबर 2019 से 28 फरवरी 2022 के बीच नगर पालिका में विशेष ऑडिट कराया जाएगा. इसमें मुख्य रूप से कोरोना काल के दौरान विभिन्न मामलों पर खर्च किए गए 3538.73 करोड़ रुपए, मनपा द्वारा दहिसर में अजमेरा प्लॉट की 339.14 करोड़ की खरीद, चार पुलों के निर्माण पर 1496 करोड़ खर्च, कोरोना काल में तीन अस्पतालों पर खर्च किए गए 904.84 करोड़ रुपए, मुंबई की 56 सड़कों की मरम्मत पर खर्च किए गए 2286.24 करोड़ रुपए, छह सीवेज परियोजनाओं पर 1084.61 करोड़.ठोस कचरा प्रबंधन पर 1020.48 करोड़ के खर्च आदि का ऑडिट करने का अनुरोध कैग से किया गया है.
मनपा में भाजपा के समूह नेता प्रभाकर शिंदे ने कहा कि इस जांच का स्वागत किया जाना चाहिए. इस जांच में मुंबईकरों को लूटने वाले लोग निशाने पर हैं. हम नगर पालिका में पिछले ढाई साल से लगातार इस मुद्दे को उठा रहे थे. कोविड के लिए 2100 करोड़ रुपए का प्रस्ताव जब स्टैंडिंग कमेटी के पास आया तो बीजेपी ने इसे वापस भेजने की मांग की. स्थायी समिति और सदन को खर्च के ब्योरे का खुलासा नहीं किया गया. सत्तारूढ़ शिवसेना ने प्रस्ताव को वापस भेजने के बजाय बहुमत से मंजूर करा लिया. हमें उम्मीद करते हैं कि इन प्रस्तावों की जांच होगी और सच्चाई मुंबईकरों के सामने आएगी.
पूर्व विपक्षी नेता रवि राजा ने कहा कि सरकार ने नगर पालिका के खर्च की सीएजी से जांच कराने का फैसला किया है. हम इसका स्वागत करते हैं.मार्च 2020 में, आयुक्त को खर्च करने की शक्तियां दी थीं. कमिश्नर ने सर्कुलर जारी किया था. इसमें कोई शक नहीं है कि नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने अच्छा काम किया है.हालांकि खर्च करते समय कोई टेंडर जारी नहीं किया गया. जब स्थायी समिति की बैठक शुरू हुई तो हमने सर्कुलर को रद्द करने की मांग की. लेकिन आयुक्त द्वारा 7 मार्च 2022 तक इस परिपत्र को रद्द नहीं किया गया. स्टैंडिंग कमेटी के कभी खर्च का लेखा-जोखा नहीं दिया गया. इस काम में काफी भ्रष्टाचार हुआ है. इन मामलों की पारदर्शी तरीके से जांच होनी चाहिए. जिस व्यक्ति की जांच होगी वह आयुक्त के पद पर बैठा है. इसलिए पहले उसे हटाना चाहिए.
कैग बीएमसी घोटालों की जांच करेगा. सरकार के नियमानुसार जिस की जांच होनी है, अधिकारी का वर्तमान में उसी पद पर कार्य करना उचित नहीं है. उक्त जांच में प्रशासनिक अधिकारियों के हस्तक्षेप की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है.इसके लिए हमारी मुख्यमंत्री से मांग की है कि मनपा आयुक्त और प्रशासक को पहलु उनके पदों से हटाया जाए. उनके रहते सबूतों के साथ छेड़छाड़ की जा सकती है. समाजवादी पार्टी के पूर्व गुट नेता रईस शेख ने यह मांग की है.