3 सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से बढ़ रही गंगा, उत्तर प्रदेश में बाढ़ की आहट से ड़रे लोग

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Flood in Ganga River Varansi. दिल्ली में बाढ़ की आपदा के बाद उत्तर प्रदेश में भी बाढ़ की आहट से लोगों में घबराहट मची हुई है. काशी में बुधवार रात गंगा के जलस्तर की बढ़ने की रफ्तार तीन सेंटीमीटर प्रति घंटा हो गई. रात 10 बजे तक जलस्तर 63.22 मीटर तक पहुंच गया. इससे पहले शाम तक ही कई घाटों की सीढ़ियां डूब गई तो दशाश्वमेध घाट पर पानी सीढ़ियों से ऊपर आ गया. इससे नैत्यिक सांध्य गंगा आरती के प्लेटफार्म जलमग्न हो गए. घाटों की सीढ़ियां डूबने के कारण अब आरती देखने आने वाले भक्तों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. (Ganges rising at a speed of 3 cm per hour, people in fear of flood in Uttar Pradesh)
दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियों से ऊपर आया पानी आध्यात्मिक नगरी काशी में गंगा के जलस्तर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जलस्तर में बढ़ोतरी से काशी की परंपराएं भी प्रभावित होने लगी है. दशाश्वमेध घाट की सीढ़ियां जलमग्न होने के बाद विश्व प्रसिद्ध मां गंगा की आरती अब घाट की बजाय गंगा सेवा निधि कार्यालय की छत पर हो रही है. बीते कुछ दिनों से गंगा में उफान के कारण पांच बार गंगा आरती का स्थान बदला जा चुका है. अब गंगा आरती छत पर की जा रही है. यह फैसला गंगा सेवा निधि द्वारा लिया गया.
गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्रा ने बताया कि मां गंगा के जलस्तर बढ़ने और इस वर्ष सावन दो माह का होने के कारण श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के कारण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए आरती कार्यालय की छत पर की जा रही है. नौका का संचालन अभी बंद चल रहा है.
आध्यात्मिक नगरी काशी में सबसे पहले गंगा आरती की शुरुआत 1991 में दशाश्वमेध घाट से शुरू हुई थी. तब से लगातार सुबह ब्रह्ममुहुर्त में और शाम के समय सूर्यास्त के बाद आरती की जाती है. गंगा नदी के साथ गंगा आरती की मान्यता धार्मिक तौर पर बहुत है. ऐसे में काशी की गंगा आरती बहुत खास होती है. यही वजह है कि देश के कोने-कोने और विदेशी लोग गंगा आरती देखने आते हैं.
गंगा की सहायक नदियों में भी बढ़ रहा पानी
गंगा नदी के जलस्तर में हो रही वृद्धि के कारण उसकी सहायक नदियों में भी पानी जमा होने लगा है. अदि गंगा गोमती का पानी गंगा में मिलता है. गंगा नदी में उफान के कारण अब गोमती नदी का प्रवाह रुक गया है. इससे गोमती नदी के जलस्तर में वृद्धि हो रही है. गोमती नदी का जलस्तर बढ़ने से लोगों में चिंता है. तटीय इलाकों में धान की खेती खतरे में पड़ने से किसान व्याकुल हो गए हैं. यदि पानी और बढ़ता है तो पूरी मेहनत पर पानी फिर जाएगा.