ठाकरे नहीं बनना चाहते थे सीएम, राष्ट्रवादी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता का खुलासा
लेकिन पवार की इच्छा पूरी करने में टूट गई शिवसेना

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. पिछले चार वर्षों में महाराष्ट्र (Maharashtra politics) की अस्थिर राजनीति पूरे देश में चर्चा का विषय रही है. शिवसेना प्रमुख पद पर रहते हुए स्व. बालासाहेब ठाकरे ने दो मुख्यमंत्री बनाए लेकिन रिमोट अपने हाथ में रखते थे. लेकिन अब पार्टी में बगावत के बाद ठाकरे परिवार ( Family’ of Bal Thackeray) के हाथ से पार्टी का नाम और सिंबल ( Name and Symbol) दोनों छिन जाने के बाद राकां के वरिष्ठ नेता छगन भुजबल ने बड़ा खुलासा किया है. यह खुलासा महाविकास आघाड़ी सरकार (MahaVikas Aghadi) के गठन के समय का है. (Thackeray did not want to become CM, reveals senior Nationalist Congress leader)
छगन भुजबल (Chagan Bhujbal) ने खुलासा किया है कि शुरुआत में ही उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) का नाम मुख्यमंत्री पद ( CM Post) के लिए सुझाया था लेकिन उद्धव ठाकरे को सीनियर के रूप में आगे किया गया था. उन्होंने कहा कि पवार साहेब(Sharad Pawar) ने शिंदे की जगह उद्धव को मुख्यमंत्री बनाने पर जोर दिया था. इसकी वजह उनका सीनियर होना था.
भुजबल ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) और सुभाष देसाई ( Subhash Desai) जैसे कुछ नाम आगे रखे थे. लेकिन शरद पवार ने उद्धव ठाकरे के नाम पर जोर दिया. भुजबल ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद के लिए इसलिए दबाव बनाया गया क्योंकि कांग्रेस (Congress) और राकांपा (NCP) के कई विधायक जो मंत्री बनेंगे, वे वरिष्ठ हैं.
बगावत के बाद शिंदे गुट (Shinde faction) और भाजपा के नेता आरोप लगा रहे थे कि पवार साहब की इच्छापूर्ति के लिए उद्धव ठाकरे ने पार्टी का ही गला घोंट दिया. ठाकरे ने हिंदुत्व छोड़ दिया. अब उद्धव ठाकरे को हिंदुत्व नहीं छोड़ने पर सफाई देनी पड़ रही है. मुख्यमंत्री बनने की इच्छा उद्धव ठाकरे की पूरी हो गई. एकनाथ शिंदे भी मुख्यमंत्री बन गए लेकिन अपने खून पसीने से शिवसेना (ShivSena) को बनाने वाले शिवसैनिक दो राहे पर खड़े हैं. उन्हें समझ में नहीं आ रहा कि कहां जाएं.




