मुंबई.मुंबई के मशहूर जेजे अस्पताल में विभिन्न पदों पर कार्यरत वरिष्ठ डॉक्टरों ने अचानक अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है. विशेष रूप से वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. तात्या राव लहाने भी शामिल हैं। खबर है कि डॉ. तात्या राव लहाने और रागिनी पारेख समेत 9 डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया है. इन सभी वरिष्ठ डॉक्टरों ने जेजे अस्पताल के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. (Controversy between senior and junior doctors of JJ Hospital, 9 doctors resigned)
इस्तीफा देने वाले सभी वरिष्ठ डॉक्टरों ने शिकायत की है कि जेजे अस्पताल प्रबंधन उन्हें एक साल से परेशान कर रहा है. दिलचस्प बात यह है कि चूंकि इस्तीफा देने वाले डॉक्टरों में पद्मश्री डॉ तात्या राव लहाने का नाम है, इसलिए यह मामला गंभीर होने की संभावना है. जेजे अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने प्रेस रिलीज जारी कर इस्तीफे की वजह बताई. इस्तीफा देने वाले 9 डॉक्टरों ने एक प्रेस विज्ञप्ति निकाली है और इसमें पूरे घटनाक्रम को लिखा है. अधिकारी ने कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद भी काम कर रहे तात्या राव लहाने को वेतन नहीं दिया गया और उन्हें सरकारी आवास खाली करने को कहा और उन पर सात लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है. डॉ तात्या राव लहाने ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टरों को हमारे खिलाफ भड़काया जा रहा है और जेजे के डीन उन्हें भड़काने में लगी हैं.
इस बीच जेजे अस्पताल की डीन डॉ. पल्लवी सापले से संपर्क किया तो उन्होंने स्वीकार किया कि डॉक्टरों के इस्तीफे मिले हैं. हालांकि उन्होंने इस मामले पर ज्यादा बोलने से इनकार कर दिया.
राज्य सरकार के जेजे अस्पताल के नेत्र रोग विभाग के रेजिडेंट डॉक्टर ने मार्ड में सीनियर डॉक्टरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. डॉ.तात्या राव लहाने और डॉ. रागिनी पारेख के खिलाफ कुछ दिन पहले शिकायत दर्ज की गई थी.वहीं बुधवार को सीधे नेत्र रोग विभाग के छात्रों ने आंदोलन शुरू कर दिया.
सीनियर डॉक्टरों ने कहा कि यह हमारे खिलाफ साजिश है. सीनियर डॉक्टरों ने कहा कि रेजिडेंट डॉक्टर और अस्पताल अधीक्षक की प्रताड़ना के कारण हमने इस्तीफा दिया है.
डॉ.तात्या राव लहाने के साथ डॉ. शशि कपूर, डॉ. दीपक भट, डॉ. सयाली लहाने, डॉ. प्रीतम सामंत, डॉ. स्वर्णजीत सिंह भट्टी, डॉ. अश्विन बाफना और डॉ. हमालिनी मेहता ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है. जबकिडॉ. रागिनी पारेख ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली है. छह माह पहले विभाग में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम की पढ़ाई करने आए रेजिडेंट डॉक्टरों की शिकायत पर नौ डॉक्टरों के बयान सुने बिना ही जांच जारी रखी गई थी.इस बीच, अधिकारियों ने पिछले वर्ष के दौरान नेत्र विभाग को कोई मदद नहीं मिली है.
दूसरी ओर की कहानी है कि प्राध्यापकों को बार-बार प्रताड़ित किया जाता था.इसलिए ये प्रोफेसर मानसिक दबाव में हैं.इस वजह से उन्होंने इस्तीफा दिया है.हालांकि, उन्होंने इस विभाग में रोगी देखभाल जारी रखने के लिए कुछ मांगें की हैं. इसमें अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है. साथ ही रेजिडेंट डॉक्टरों को भड़काने का काम करने वाले तीन रेजिडेंट डॉक्टरों का पीजी रजिस्ट्रेशन रद्द करने की भी मांग की है. अन्य रेजिडेंट डॉक्टरों के अनियंत्रित व्यवहार पर कड़ी कार्रवाई करने की भी मांग की गई है.अभी दो दिन पहले, जेजे अस्पताल के नेत्र विभाग के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सर्जरी के अवसरों की कमी, चिकित्सकों की कमी, शोध कार्य की कमी और असंसदीय व्यवहार जैसी कई शिकायतें की थीं, जिसका सामना विभाग के रेजिडेंट डॉक्टर नियमित रूप से करते हैं.यह भी मांग की गई कि विभाग एनएमसी के निर्देशानुसार चलाया जाए. साथ ही यह भी शिकायत की गई कि नेत्र रोग विभाग में रेजिडेंट डॉक्टरों के खिलाफ अन्याय व परेशानी बढ़ रही है और यहां गैर शैक्षणिक माहौल है.
इसमें नेत्र रोग विभाग में रेजिडेंट चिकित्सक डॉ.तात्या राव लहाने और डॉ.रागिनी पारेख की तानाशाही पर चिंता जताई थी.जबकि त्वरित जांच से प्रभावित छात्रों की पीड़ा में मदद मिली है, यह मांग की गई है कि इन संवेदनशीलताओं का तेजी से पता लगाने के लिए मामले का खुलासा आवश्यक है. इस शिकायत सत्र से यह मुद्दा बढ़ गया है और अब इस्तीफे का सत्र शुरू हो गया है.
मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति इसलिए ली है ताकि कार्यवाही और जांच निष्पक्ष हो सके.हम पर झूठा आरोप लगाया गया है. हमारे पास इसका सबूत है. इस संबंध में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और चिकित्सा शिक्षा मंत्री गिरीश महाजन से चर्चा चल रही है.