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पर्यटकों का महाराष्ट्र के भंडारदारा महोत्सव में जमावड़ा, निहारते रह जाएंगे प्रकृति की सुंदरता
8वीं शताब्दी के मंदिर की अनूठी कलाकृति करती है मोहित

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. प्रकृति के गोद में बसे महाराष्ट्र का भंडारदारा 8वीं शताब्दी के मंदिर और अपने भू सौंदर्य के लिए मशहूर हो रहा है. (Bhandara Tourists) महाराष्ट्र राज्य पर्यटन विभाग द्वारा भंडारदरा में वर्षा महोत्सव का आयोजन किया गया था. बड़ी संख्या में जुटे पर्यटक और व्यवसायियों ने भंडारदारा के प्रकृति की सुंदरता की खूब सराहना की. पर्यटन विभाग के संयुक्त निदेशक सुशील पवार ने बताया कि इन व्यवसायियों, भंडारदरा में भू -सौंदर्य और क्षेत्र की प्रकृति की सुंदरता से अविभूत होकर पर्यटन को बढ़ावा देने का वादा किया है. (Tourists gather in Bhandardara Tourism Festival of Maharashtra, will keep admiring the beauty of nature)
अहमदनगर जिले के अकोले तालुका स्थित भंडारदारा एक बहुत ही प्रकृति से परिपूर्ण, अत्याधुनिक पर्यटन स्थल है. राज्य सरकार ने 12 अगस्त से वर्षा महोत्सव का आयोजन किया है, इस महोत्सव का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि इस पर्यटन स्थल के बारे में देश विदेश के पर्यटकों को जानकारी प्राप्त हो. यहां रहने वाले आदिवासियों की लोक कलाएं और खाद्य संस्कृति का आनंद पर्यटकों द्वारा उठाया जा सके . फैम टूर का आयोजन महोत्सव के हिस्से के रूप में किया गया था. इसमें गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, दिल्ली, छत्तीसगढ़, यू पी, बंगाल के पेशेवर पर्यटक, मीडिया के लोग शामिल हुए.
अभिजीत अकोलकर ने राज्य में इन वाणिज्यिक पर्यटकों की जैव विविधता, जैव विविधता का इतिहास और भूगोल के बारे में विस्तार से जानकारी दी. पर्यटक स्नान, वसुंधरा और हार में झरने देखकर बहुत खुश थे. अमृतेश्वर में मंदिर का दौरा करने के बाद, पर्यटकों ने इस मंदिर की अनूठी कलाकृति का आनंद लिया. उन्होंने महाराष्ट्र में लगभग 8 वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर और मंदिर के निर्माण, मंदिर में स्थापित देवताओं, इसकी नक्काशी के विषय में पर्यटकों को बताया गया.
महाराष्ट्र पर्यटन विभाग के सह -निदेशक सुशील पवार ने देश भर के पर्यटकों व्यवसायियों का मार्गदर्शन और अभिवादन किया. इस अवसर पर कार्यक्रम के सह -आयोजक संजय नाईक, श्वेता नाईक, संदीप मोरे, अभिजीत अकोलकर को सम्मानित किया गया.
महाराष्ट्र पर्यटन व्यवसायियों की प्रतिनिधि निरंजन कुलकर्णी और संगीता कालसकर भी मौजूद थीं. सुशील पवार ने कहा कि आदिवासी भाइयों के पारंपरिक कलात्मक कौशल, चित्रों और नृत्य को उपस्थित लोगों और पेशेवर पर्यटकों द्वारा बहुत सराहना की गई .




