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समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन की तैयारी में शिवसेना उद्धव गुट, रविवार को धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ बैठक

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई-  कई दशक के बाद एक बार फिर समाजवादी पार्टी और शिवसेना (उद्धव गुट) करीब आती दिख रही हैं. हिंदूवादी पार्टी भाजपा से युति के बाद शिवसेना धर्मनिरपेक्ष पार्टियों से दूरी बना ली थी. लेकिन शिवसेना में फूट के बाद उद्धव ठाकरे की शिव सेना,एक बार फिर समाजवादी पार्टी और जनता पार्टी के साथ मिलकर शिव सेना को फिर से मजबूत करने की कवायद में जुट गई है. (Shiv Sena Uddhav faction preparing for alliance with Samajwadi Party, meeting with secular parties on Sunday)
शिवसेना यूबीटी प्रमुख उद्धव ठाकरे रविवार 15 अक्टूबर को समाजवादी जनता पार्टी एवं परिवार के सभी दलों और संगठनों से बातचीत करेंगे और इस बैठक में समाजवादी-शिवसेना (यूबीटी) के गठबंधन पर मुहर लगेगी. शिवसेना के गठन के बाद से अब तक उसने 22 बार धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ गठबंधन किया है. धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के साथ शिवसेना ने सबसे पहले जार्ज फर्नांडिस की पार्टी के साथ गठबंधन किया था.
 रविवार को एमआईजी क्लब में समाजवादी जनता परिवार के दिग्गजों से बातचीत कर गठबंधन को मजबूत करने जा रहे हैं. उन्होंने राजनीतिक दल संभाजी ब्रिगेड के साथ गठबंधन भी किया है. “शिवसेना ने 1968 में मुंबई मनपा का पहला चुनाव लड़ा था. इसमें उसने राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त प्रजा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया. मधु दंडवते और एन.जी. गोरे उस पार्टी के नेता थे.
 रविवार की बैठक में समाजवादी और जनता दल से जुड़े 150 लोगों को आमंत्रित किया गया है. इसमें वरिष्ठ बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, राजनीतिक नेता शामिल हैं. इस बैठक में श्रमिक नेता शशांक राव, जॉर्ज फर्नांडिस के सहयोगी असीम राव, जनता दल के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष निहाल अहमद की बेटी  शान-ए-हिंद विशेष रूप से उपस्थित रहेंगे.
 मुंबई,ठाणे, मालेगांव में मिल सकता है फायदा 
 इन पार्टियों के साथ आने से शिवसेना उद्धव गुट को मुंबई, भिवंडी, मालेगांव में सीटों का फायदा मिल सकता है. मुंबई मनपा की 227 सीटों में समाजवादी पार्टी के 6 नगरसेवक हैं. भाजपा का साथ छूटने के बाद अप्रत्यक्ष रूप से कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस और सपा के सहयोग से शिवसेना ने मनपा की सत्ता का कार्यकाल पूरा किया था. समाजवादी पार्टी का मुंबई मनपा में 20 से अधिक सीटें आती थीं लेकिन  आईआईएमआईएम के आने के बाद मुस्लिम वोट बंटने से उसकी सीटें सिमट गई.  शिवसेना यूबीटी विभाजन के बाद कट्टर हिंदूवादी पार्टी से दूरी बनाते हुए धर्मनिरपेक्ष पार्टी के तौर पर अपनी पहचान बना रही है. समाजवादी पार्टी के साथ आने से कुछ स्थानों पर उसे फायदा मिल सकता है.

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