
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. बीएमसी नगरसेवकों का कार्यकाल 7 मार्च से समाप्त होने के बाद बीएमसी का कार्यभार बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल के हाथ में चला गया है. 8 मार्च से जनता के बीच खास रहे नगरसेवक अब आम हो गए हैं. महापौर किशोरी पेडणेकर को रानीबाग में मिला बंगला खाली करना पड़ेगा. वहीं महापौर के साथ ही बीएमसी की सभी समिति अध्यक्षों को मिला मनपा का वाहन भी वापस करना पड़ा है. पद का कार्यकाल समाप्त होते ही सभी सुविधाएं छिन गई है. यहीं नहीं बीएमसी मुख्यालय में मिला पार्टी कार्यालय पर भी ताला लगा दिया जाएगा.
38 वर्ष बाद बीएमसी पर बैठा प्रशासक
बीएमसी के इतिहास में यह दूसरी बार हैजब बीएमसी में प्रशासक बैठाने की जरुरत पड़ी. पहली बार 1 अप्रैल 1984 से 25 अप्रैल 1985 यानी एक वर्ष के लिए बीएमसी का कामकाज प्रशासक के हाथों में था. 38 वर्ष बाद यह दूसरा अवसर है जब बीएमसी पर ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रशासक की नियुक्ति करनी पड़ी.
महिला आरक्षण पर बढ़ा कार्यकाल
हालांकि 1990 से 92 के दौरान बीएमसी नगरसेवकों का महिला आरक्षण के मुद्दे पर कार्यकाल बढ़ा दिया गया था. लेकिन देवेंद्र फडणवीस सरकार ने कानून में संशोधन किया था जिसके बाद कार्यकाल बढ़ाने पर रोक लग गई. आज से बीएमसी प्रशासन के पूरे काम काज की जिम्मेदारी कमिश्नर पर आ गई है. प्रशासक के तौर पर सभी नीतिगत निर्णय उन्हीं को लेना होगा.