राज ठाकरे केे कारण दुविधा में कांग्रेस बिहार चुनाव तक गठबंधन करने से इनकार

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई। बिहार में जारी विधानसभा चुनाव के बीच महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की घोषणा कर दी गई है। शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे (यूबीटी) महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के साथ गठबंधन करने की तैयारी में है। इस महागठबंधन में शिवसेना यूबीटी के अलावा कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी भी हिस्सा है। राज ठाकरे मुस्लिमों और हिंदी भाषियों के खिलाफ बयान देते रहते हैं। बिहार चुनाव के कारण कांग्रेस के नेता महाराष्ट्र में मनसे के साथ गठबंधन करने से बच रहे हैं। क्योंकि इसका असर बिहार चुनाव पर पड़ सकता है। कांग्रेस नेता अब बिहार चुनाव संपन्न होने का इंतजार कर रहे हैं। (Congress in dilemma due to Raj Thackeray, refuses to form alliance for Bihar elections)
राज्य में मतदाता सूची में गड़बड़ी और दोहरे मतदाता पंजीकरण को लेकर चुनाव आयोग की काफी आलोचना हो रही है । मनसे प्रमुख राज ठाकरे भी आयोग की आलोचना कर रहे हैं और महाविकास अघाड़ी के साथ नजर आ रहे हैं । हालांकि महाविकास अघाड़ी में मनसे को जगह मिलेगी या नहीं, इस पर कांग्रेस ने स्पष्ट रुख अपनाया है। इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई और यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में कांग्रेस राज ठाकरे से दूरी बनाए रखेगी ।
राज्य में स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं, वहीं विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में बिहार का राजनीतिक माहौल गरमा रहा है। इसलिए, अब जब ठाकरे बंधु एक साथ आ गए हैं, तो राज ठाकरे के महा विकास अघाड़ी में शामिल होने की चर्चा जोरों पर है । हालांकि, बिहार विधानसभा चुनावों की पृष्ठभूमि में मनसे के साथ गठबंधन कांग्रेस को असहज कर सकता है, इसीलिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक में मनसे के साथ गठबंधन न करने का फैसला किया है । यह बैठक 4 नवंबर को तिलक भवन में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल के नेतृत्व में हुई । इस फैसले की जानकारी जल्द ही कांग्रेस आलाकमान को दी जाएगी ।
बिहार चुनाव में नुकसान होने का सता रहा ड़र
कांग्रेस महागठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करने को तैयार है । लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि किसी भी हालत में मनसे के साथ गठबंधन नहीं होगा । मनसे खुलेआम उत्तर भारतीयों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाती है और उनके खिलाफ मोर्चा खोलती है । इसलिए पार्टी मनसे के साथ गठबंधन नहीं कर सकती। खासकर बिहार विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में कांग्रेस नेताओं का मानना है कि यह नुकसानदेह है । कांग्रेस यदि मनसे के साथ जाती है तो मुंबई महानगरपालिका चुनाव में भी उसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। राज ठाकरे मस्जिदों पर लगे लाउडस्पीकर को लेकर कठोर रुख रख रहे हैं। इसलिए राज ठाकरे से मुस्लिम समुदाय नाराज है। कांग्रेस यदि मनसे के साथ गठबंधन बनाती है तो मुस्लिम वोट भी उससे दूरी बना सकते हैं।
उद्धव को भी हो सकता है नुकसान
लोकसभा और विधानसभा चुनाव में शिवसेना यूबीटी को मुंबई का मुस्लिम वर्ग खुल कर समर्थन दिया था। इससे शिवसेना यूबीटी को बहुत लाभ मिला था। लेकिन राज ठाकरे को साथ में लेने से मुस्लिम वोटर भी यूबीटी से दूर हो सकते हैं। यहीं कारण है कि मुंबई महानगरपालिका के अलावा निकाय चुनावों के लिए अब तक विपक्षी पार्टियां यह तय नहीं कर पाई हैं कि मनसे को गठबंधन में शामिल किया जाए कि नहीं। राज ठाकरे अच्छे वक्ता हैं। उनकी सभाओं में भारी भीड़ जुटती है लेकिन वह वोट में परिवर्तित नहीं होती है। 2017 मनपा चुनाव में मनसे के 7 नगरसेवक चुन कर आए थे। जिसमें से 6 नगरसेवक शिवसेना यूूबीटी के साथ चले गए थे। एक पूर्व नगरसेवक ने भी साथ छोड़ दिया है। देखना है कि इस बार मुंबई महानगरपालिका में मनसे कितना पहले जितना प्रदर्शन कर पाती है या नहीं।




