अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट ऐतिहासिक फैसला
जिम्मेदार अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश

आईएनएसन्यूज नेटवर्क
High Court historic decision on illegal construction: मुंबई सहित पूरे राज्य में हो रहे अवैध निर्माण पर मुंबई हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए अधिकारियों को फटकार लगाई है. अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में कहा कि इमारत दुर्घटनाओं में जानमाल के नुकसान के लिए मृत परिवार का सदस्य मुआवजा के लिए पात्र माना जाएगा. प्रशासन इसके लिए कोई बहाना नहीं बना सकता. हाईकोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण को तुरंत तोड़ने के साथ उन अधिकारियों पर भी एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करें जो अवैध निर्माण को तोड़ने में लापरवाही करते हैं.
जांच में न लटकाएं मामला
मुंबई हाईकोर्ट ने भिवंडी हुए इमारत हादसे पर स्वयं संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका दायर की थी. 23 सितंबर 2020 को हुए इस हादसे में 32 लोगों की जान चली गई थी. शनिवार को याचिका पर अपने आदेश में हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने कहा कि हादसे की जांच में लंबा समय नहीं गंवाना चाहिए. राज्य में किसी भी इमारत के गिरने से होने वाले जानमाल के नुकसान पर नगरविकास विभाग के प्रधान सचिव 15 दिन के भीतर जांच रिपोर्ट प्राप्त कर संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई कर, तत्काल कदम उठाएंगे. इमारत गिरने पर यदि किसी की मृत्यु होती है तो उसके परिवार का सदस्य मुआवजा पाने के लिए पात्र माना जाएगा. मुआवजा देने के लिए सरकार कोई बहाना नहीं बना सकती.
लोगों सुरक्षित आवास में रहने का अधिकार
हाईकोर्ट ने कहा कि जर्जर और जीर्णषीर्ण हो चुकी वर्तमान इमारतों को स्वीकार करने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है. इन इमारतों के नागरिक जान हथेली पर रख कर भय के साये में जी रहे हैं. लेकिन जीने के साथ ही लोगों को सुरक्षित आवास में रहने का अधिकार भी मिला हुआ है. निजी अथवा सरकारी इमारतों की सुरक्षा करना संवैधानिक उत्तरदायित्व है. इमारत गिरने से लोगों की जान पर खतरा नहीं होगा. इसके लिए बीएमसी प्रशासन को एक यंत्रिक व्यवस्था करनी चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि इमारतों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग की जानकारी मिल रही है. जागरूक नागरिक ऐसे कार्यों की जानकारी मनपा को दें जिससे समय पर एक्शन हो सके.
एमएमआर की महानगरपालिकाओं को फटकार
हाईकोर्ट ने कहा कि सरकारी जमीन अथवा किसी भी सरकारी विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर बनाए गए निर्माण, चाहे वह स्लम घोषित किया गया हो अथवा जर्जर हो चुका है. उसे तोड़ने का अधिकार स्थानीय महानगर पालिका है. मनपा में व्याप्त भ्रष्टाचार को रोकने के लिए मनपा को भ्रष्टाचार निरोधक कानून सख्ती से लागू करना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि अवैध निर्माण या इमारत मनपा अधिकारियों की सांठ गांठ के बिना संभव नहीं है. अवैध निर्माण को उसी समय तोड़ें और उसकी अनदेखी करने वाले अधिकारियों पर FIR दर्ज कर कार्रवाई करें. हाईकोर्ट ने यह आदेश राज्य के अलावा एमएमआर की मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई, पनवेल, केडीएमसी, मीरा भायंदर, वसई विरार, उल्हासनगर, और भिवंडी निजामपुर के लिए विशेष रूप से दिया है.




