
दूसरी लाइफ लाइन का तमगा लटकाए सोते रहे बेस्ट अधिकारी
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई की दूसरी लाइफ कही जाने बेस्ट उपक्रम ने शुक्रवार को यात्रियों पर आये संकट के समय लोगों को धोखा दे दिया. पुडुचेरी एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद फर्स्ट लाइफ लाइन लोकल की सर्विस पर असर पड़ा. फास्ट लाइन बंद होने से यात्रियों का पूरा बोझ स्लो ट्रेनों पर आ गया. सभी स्टेशनों पर भीड़ बढ़ती गई. ऐसे संकट के समय बेस्ट को आगे आकर यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बेस्ट को जिम्मेदारी उठानी चाहिए थी लेकिन बेस्ट उपक्रम के अधिकारी आंख कान बंद कर सोते रहे.
ट्रेन दुर्घटना के बाद देर तक ऑफिस में ड्यूटी करने वाले कम्यूटर्स अपने घर जाने के लिए परेशान दिखे. महिला यात्रियों का हाल और बुरा था. ट्रेन की भीड़ देख कर उसमें चढ़ने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाई. दुर्घटना के बाद स्लो लोकल का भी शेड्यूल गडबड़ा गया. यहां ट्रेन फुल थी और बाहर टैक्सी ऑटो भी नहीं मिल रहे थे. उपर से मनमाना किराया वसूला जा रहा था.
बेस्ट बसों का संचालन करने बेस्ट उपक्रम की बाद की जाए तो वह संवेदनहीन हो चुका है. बेस्ट अधिकारियों, कर्मचारियों की इसी लापरवाही के कारण बेस्ट 2000 करोड़ रुपए से अधिक घाटे में चल रही है. बीएमसी के अनुदान पर बेस्ट अधिकारी मौज कर रहे हैं. न उन्हें बेस्ट को घाटे से उबारने की चिंता है और न ही यात्रियों को सुविधा देने की.

लोकल यात्रियों पर मुश्किलें आई तो ठाणे मनपा ने अपनी रेग्युलर बसों के अलावा डिपो की बसों को भी यात्रियों को ढ़ोने के लिए उतार दिया. देर रात ठाणे मनपा की बसें यात्रियों को ढ़ोती रही. उन्होंने ठाणे मनपा को टैक्स अदा कर रहे अपने यात्रियों का ध्यान रखा लेकिन दूसरी लाइफ लाइन का तमगा अपने गले में चिपकाए बेस्ट अधिकारी सोते रहे. रात को तो छोड़ दीजिए सुबह भी यात्रियों की परेशानी पर वे मौन रहे.
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मध्य रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शिवाजी सुथार ने ट्वीट कर कहा कि ठाणे मनपा ने विशेष बसें चला कर परेशान यात्रियों की सुध ली. शायद बेस्ट पर कहने के लिए उनके पास शब्द नहीं थे. क्योंकि बेस्ट ने वैसा काम ही नहीं किया की उसकी प्रशंसा की जा सके.