
आइएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली.
चीन की संसद ने सीमावर्ती क्षेत्रों की रक्षा करने वाले एक कानून को मंजूरी दे दी है, जिसमें कहा गया है कि देश की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता “पवित्र और अविभाजित” है. इस कानून से भारत-चीन सीमा विवाद पर और तनाव बढ़ने की संभावना है. चीनी सरकारी समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) की स्थायी समिति के सदस्यों ने शनिवार को संसदीय सत्र में कानून को मंजूरी दी.
यह कानून अगले साल एक जनवरी से लागू होगा. इस कानून के अनुसार, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की अखंडता पवित्र और अविभाजित है. नया भूमि कानून कहता है कि सीमा सुरक्षा को मजबूत करने, आर्थिक और सामाजिक विकास में सहायता करने, सीमावर्ती क्षेत्रों को शुरू करने, इन क्षेत्रों के सामाजिक विकास करने और उनकी मदद करने के लिए सरकार कदम उठा सकती है.
सरकार सीमा सुरक्षा, सामाजिक और आर्थिक विकास में समन्वय को बढ़ावा देने के उपाय कर सकती है. कानून में कहा गया है कि चीनी सरकार पड़ोसी देशों के साथ अपने सीमा विवादों को समानता, आपसी विश्वास और मैत्रीपूर्ण बातचीत के सिद्धांतों के अनुसार सुलझाएगी. इस कानून के तहत सीमा मुद्दे पर लंबे समय से चल रही बहस और बहस का आधार पर पडोसी देशों के साथ सीमा विवाद को सुलझाएगी. चीन ने अभी तक भारत और भूटान के साथ सीमा समझौते को अंतिम रूप नहीं दिया है.
भारत और चीन के बीच की सीमा 3488 किमी के क्षेत्र को कवर करती है. वहीं भूटान के साथ चीन का सीमा विवाद 400 किमी सीमा क्षेत्र में है. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पिछले एक साल से सुलग रहा है. गलवान घाटी में हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए वहीं चीन के भी 45 से अधिक सैनिक मारे गए थे. चीन का भारत और भूटान के साथ लगती सीमाओं का हल नहीं निकाला गया है. यदि चीन इस कानून के तहत भारत और भूटान की सीमाई इलाकों पर दावा करता है तो यह विवाद और भड़क सकता है. वैसे भी चीन के सामने भारत की सैनिक आंख में आंख डाल कर चुनौती दे रहे हैं.