माता-पिता के कारण बच्चों को हो सकती हैं मोटापे की समस्या
जानिए विशेषज्ञों ने क्यों कहा, बच्चों की देखभाल करना बहुत जरूरी

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मोटापा अपने साथ कई रोग लेकर आता है. आज कल बच्चों में मोटापे की समस्या बढ़ती जा रही है. एक अध्ययन में पता चला है कि यदि माता-पिता का वजन जादा है, तो उनके बच्चों को मोटापे की समस्या (Children may have obesity problem due to parents) हो सकती हैं. आस्था हेल्थकेअर(Aastha Healthcare) के वरिष्ठ बॅरिएट्रिक सर्जन (senior Bariatric Surgeon)डॉ. मनीष (Dr.Manish Motwani) Senior Bariatric Surgeon, Aastha Healthcare मोटवानी ने पिछले 3 वर्षों में मोटापे का पारिवारिक इतिहास वाले 825 मरीजों पर अध्ययन किया जिन्होंने मोटापे के कारण सर्जरी कराई गयी थी. इसमें 38% मरीजों को मोटापा उनके माता-पिता से अनुवांशिक तौर मिला था.
डॉ. मोटवानी ने कहा कि माता-पिता को मोटापे की समस्या है तो बच्चे के मोटे होने की संभावना 80 प्रतिशत होती हैं. मोटापा कई बीमारियों और स्थितियों के लिए बच्चे के जोखिम को बढ़ाता है. इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे के खाने-पीने का ध्यान रखना चाहिए. उनके वजन को नियंत्रित रखते हुए रोजाना व्यायाम कराना चाहिए.
अनियंत्रित खान पान से बढ़ता मोटापा
मोटापा तब देखा जाता है जब कोई अधिक कैलोरी खाता है जिससे शरीर बर्न होने लगता है. आज कल बच्चों में मोटापा बढ़ रहा है. इस कारण मोटापा हमारी आने वाली पीढ़ी को बर्बाद कर सकता है. अधिक वजन होना न केवल उच्च कैलोरी सेवन के कारण होता है, बल्कि जैव रासायनिक और आनुवंशिक कारकों के कारण भी होता है. मोटे माता-पिता के मोटे या अधिक वजन वाले बच्चे होने की संभावना होती है. बदलती जीवनशैली, खान-पान और बच्चों में शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण बच्चों में मोटापा बढता दिखाई दे रहा हैं.
पैरेंट्स से बढ़ता बच्चों का बीएमआई
आस्था हेल्थकेयर के सिनियर बॅरिएट्रिक सर्जन डॉ मनीष मोटवानी ने कहा कि पिछले 3 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, मोटापे के पारिवारिक इतिहास वाले 825 मरीजों (58% महिलाएं, 42% पुरुष) पर मोटापा कम कराने के लिए सर्जरी कराई गयी थी. इसमे 38% में बच्चों सहित परिवार के सदस्य मोटे या अधिक वजन वाले थे. यदि माता-पिता का बॉडी मास (बीएमआई) अधिक है तो बच्चे का बीएमआई भी अधिक हो सकता है. चूंकि जीन और आदतें दोनों एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होती हैं, इसलिए परिवार के कई सदस्य वजन बढ़ाने की समस्या से जूझेंगे. एक ही परिवार के लोगों के खाने के पैटर्न, गतिहीन, शिथिलता शारीरिक गतिविधि के स्तर समान होते हैं. इसलिए, यदि एक या दोनों माता-पिता अधिक वजन वाले या मोटे हैं, तो बच्चे के अधिक वजन होने की संभावना बढ़ जाती है.
इन बीमारियों के हो सकते हैं शिकार
डॉ. मोटवानी ने बताया कि अधिक वजन न केवल माता-पिता के स्वास्थ्य बल्कि बच्चे के विकास को भी प्रभावित कर सकता है. मोटापे से ग्रस्त बच्चे मधुमेह, हृदय रोग, स्लीप एपनिया, तनाव, चिंता, अवसाद, खराब आत्मसम्मान, खाने के विकार, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, हड्डी और जोड़ों के विकार, अस्थमा, कैंसर, श्वास जैसी कई स्वास्थ्य समस्याओं से पीड़ित हो सकते हैं. उनमें पित्ताशय की बीमारी, जिगर की समस्याएं, पिरियड्स की अनियमितता, बांझपन, खाने के विकार, डिस्लिपिडेमिया, उच्च कोलेस्ट्रॉल और नींद की समस्या भी पैदा हो सकती है.
ऐसे रखें बच्चों की सेहत का ध्यान
डॉ मोटवानी ने कहा कि बचपन के मोटापे को इलाज के जरु बेहतर तरीके से रोका जाता है. इसलिए, माता-पिता को अपने बच्चे को खाने-पीने पर बेहतर तरीके तरह से ध्यान देना जरूरी हैं. बच्चे के आहार में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और फलियां शामिल करें. जंक, प्रोसेस्ड, ऑयली और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचें. बच्चों को बेकरी आइटम, चाइनीज, बर्गर, पिज्जा, पास्ता, सोडा, कोला या आइसक्रीम को ना कहना चाहिए. बच्चों को रोजाना व्यायाम करना चाहिए, अच्छी नींद लेनी चाहिए और तनाव मुक्त रहना चाहिए. यदि बचपन के मोटापे को रोका नहीं जाता है, अधिक वजन बढने के कारण उसे बॅरिएट्रिक सर्जरी करानी पड सकती हैं.