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अग्निवीरों को लेकर मुख्यमंत्री योगी का बड़ा ऐलान

सेना में सर्विस के बाद मिलेगी पुलिस की नौकरी

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

Agnipath scheme: लखनऊ. रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सशस्त्र सेनाओं में युवकों को ‘अग्निपथ योजना’ के तहत 4 साल की सर्विस देने की घोषणा के बाद बिहार सहित देश के कई हिस्सों में युवा आंदोलन कर रहे हैं. इस बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नाथ ने Chief Minister Yogi’s big announcement regarding Agniveers) ऐलान किया है कि उत्तर प्रदेश सरकार सेना में सेवा के उपरांत अग्निवीरों को पुलिस या उसके सहयोगी बलों में समाहित करने की प्राथमिकता दी जाएगी.

क्या है अग्निपथ योजना’

युवाओं को सेना से जोड़ने और सशस्‍त्र सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने 14 जून को अग्निपथ योजना की घोषणा की है. वहीं  पूर्वी कमान के चीफ ऑफ स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल केके रेप्सवाल ने बताया कि अग्निपथ योजना के तहत अगले तीन में महीने में युवाओं की भर्ती शुरू हो जाएगी. इसके बाद उन्हें 10 हफ्ते से लेकर 6 महीने तक का प्रशिक्षण दिया जाएगा. इसके बाद उन्हें चार साल की सेवा के लिए भेजा जाएगा.

12वीं पास ही भर्ती के लिए होंगे पात्र 

सेना भर्ती के लिए निर्धाारित शैक्षणिक योग्‍यता पूर्ववत ही रहेगी. 12वीं पास उम्‍मीदवार भर्ती के लिए पात्र होंगे. फिजिकल स्‍टैंडर्ड और फिजिकल एफिशिएंसी टेस्‍ट के आधार पर ही उम्‍मीदवारों का चयन होगा, जो 4 वर्षों के लिए अग्निवीर के तौर पर सेना में अपनी सेवाएं दे सकेंगे.

17 से 21 साल के बीच होनी चाहिए उम्र

सेना प्रमुखों ने बताया है कि वर्तमान में सभी सेनाओं में सैनिकों की औसत आयु 32 वर्ष है. सेनाओं को यूथफुल बनाने के लिए अग्निपथ स्‍कीम लाई गई है. अग्निवीर बनने के लिए उम्‍मीदवारों की आयु साढ़े 17 साल से 21 साल के बीच होनी चाहिए.

देश भर में युवाओं का विरोध प्रदर्शन

इस योजना के तहत 25 फीसदी अग्निवीरों को सेना में पूर्णकालिक सेवा का अवसर दिया जाएगा. यानी 100 में से 25 युवाओं को पूर्णकालिक सेवा का लाभ मिलेगा. लेकिन बिहार, राजस्थान और असम के युवक इसका विरोध कर रहे हैं. बिहार के कई जिलों में युवकों ने ट्रेनों को भी रोक कर प्रदर्शन किया. आरोप है कि जो लड़के सेना में भर्ती की वर्षों से तैयारी कर रहे थे, वे शार्ट सर्विस से परेशान हैं. उनका कहना है कि पिछले दो साल से सेना में कोई भर्ती नहीं निकाली गई है. वे 4 साल की सेवा सुनकर परेशान हो गए हैं. उनकी मांग है कि सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे.

 

 

 

 

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