मुंबई

कोरोना मरीजों पर बीएमसी ने खर्च किए 2300 करोड़

हर महीने 115 करोड़ खर्च

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई.  मार्च 2020 से फैले कोरोना वायरस की दूसरी लहर पर भी मुंबई में काबू पा लिया गया है. इस महामारी के खिलाफ जंग में बीएमसी  ने मरीजों पर  2300 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. कोरोना को मात देने के लिए बीएमसी के खिलाफ लड़ाई में हर माह लगभग 115 करोड़ रुपये खर्च कर रही है. इस तरह एक मरीज पर 1146 रुपये खर्च हो रहे हैं. इसमें नागरिकों की टेस्टिंग, अस्पतालों में ऑक्सिजन की व्यवस्था, नए जंबो कोविड सेंटर, क्वारन्टीन सेंटर, वार्ड वार रूम, बाहर से आए डॉक्टर व नर्स सहित दवाओं का खर्च शामिल है.
 बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया कि मार्च 2020 से शुरू हुए कोरोना संकट के बाद मुंबई में अब तक 755632 से अधिक पॉजिटिव मरीज मिल चुके हैं. इसी तरह 83 लाख 11 हजार कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग की गई है. 1.14 करोड़ से अधिक लोगों की टेस्टिंग की गई है, कंटेन्मेंट जोन, सील बिल्डिंग व फ्लोर को सील किया गया है. मुंबई में 266 टेस्टिंग सेंटर बनाए गए हैं. 14 जंबो कोविड सेंटर तैयार किए गए. देश भर में बीएससी की स्वास्थ्य सेवा सबसे उन्नत मानी जाती है. लेकिन समय ऐसा आया कि मुंबई में स्वास्थ्य कर्मचारियों की भारी कमी हो गई. मरीजों को संभालने के लिए महाराष्ट्र के दूसरे जिलों से व दूसरे राज्यों से डॉक्टर व नर्स बुलाने पड़े.   इनके अलावा कॉन्ट्रैक्ट पर कर्मचारियों की भर्ती, चिकित्सा संबंधी उपकरणों की खरीद, अत्यावश्यक सेवाओं से जुड़े कर्माचारियों के लिए होटलों का खर्च, कोरोना संक्रमित क्षेत्रों में खाने-पीेने के सामानों की आपूर्ति, मास्क खरीदने,ऑक्सिजन प्लांट तैयार करने, दवाइयों की खरीदी जैसे कामों में बीएमसी ने लगभग 1900  करोड़ रुपए खर्च किए हैं. ऑक्सिजन के लिए बाकी 400 करोड़ रुपए खर्च करने के लिए मार्च 2021 में बीएमसी से मंजूरी ली गई. इस तरह कोरोना के खिलाफ जंग में बीएमसी अब तक लगभग 2300 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी है. यह पूरा खर्च आकस्मिक निधि से किया जा रहा है. काकानी ने कहा कि नवंबर में कोरोना मरीजों के लिए हमें अतिरिक्त पैसों की जरूरत नहीं पड़ेगी. हमने समय- समय पूरे खर्च का हिसाब स्थायी समिति को दिया है. विभिन्न बैंकों में जमा बीएमसी के फिक्स डिपॉजिट से एक रुपया नहीं खर्च किया गया है. काकानी ने कहा कि जंबो कोविड सेंटर, कोरोना केयर सेंटर अब तक तैयार हो चुके हैं. अब सिर्फ इनकी देखभाल और रखरखाव की ज़रूरत है.इसलिए अब कोरोना खर्चे में बढ़ोत्तरी की संभावना कम है.

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