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कांग्रेस ने बढ़ाया शिवसेना, राष्ट्रवादी का टेंशन
मुंबई के बाद पुणे में भी अकेले लड़ने की तैयारी

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. आगामी दो महीने में महानगर पालिकाओं के चुनाव कराए जाने की संभावना है. (Congress increased the tension of Shiv Sena, nationalist Congress party) शिवसेना की ताकत दो गुटों में बिखरने के साथ ही अब महाविकास आघाड़ी में भी बिखराव दिखने लगा है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने मुंबई के बाद अब पुणे नगर निगम चुनाव अपने दम पर लड़ने का नारा दिया है. शहर के कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने पटोले से कहा कि अगर वे गठबंधन बनाने के बजाय अपने दम पर लड़ते हैं, तो पार्टी की ज्यादा सीटें चुन कर आ सकती हैं. इससे पार्टी को पूरे शहर में विस्तार करने में मदद मिलेगी.
एक कार्यक्रम के लिए पुणे आए पटोले ने कांग्रेस भवन में पार्टी पदाधिकारियों की बैठक की. इस अवसर पर क्षेत्र एवं शहर के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे. कई कार्यकर्ताओं ने राय व्यक्त की कि महाविकास आघाड़ी के साथ गठबंधन बनाकर चुनाव लड़ने से पार्टी को नुकसान होगा. “राष्ट्रवादी कांग्रेस चुनावों में मदद नहीं करती है, यह अक्सर कांग्रेस के खिलाफ काम करती है. इस कारण से कांग्रेस को गठबंधन से कोई फायदा नहीं हो रहा है. पिछले लोकसभा चुनाव में ‘राष्ट्रवादी’ के कई कार्यकर्ताओं ने पुणे में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए प्रचार नहीं किया था, लेकिन कुछ लोग लाए थे कि उन्होंने बारामती और शिरूर लोकसभा क्षेत्रों में ‘राष्ट्रवादी’ उम्मीदवारों के अभियान में भाग लिया था. यह भी कहा गया था कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने कांग्रेस उम्मीदवार के खिलाफ स्टैंड लिया था. पदाधिकारियों की बात सुनने के बाद पटोले ने स्पष्ट किया कि इस बार पार्टी की भूमिका अपने दम पर लड़ने की है.
पूर्व मंत्री विश्वजीत कदम ने सुझाव दिया कि कुछ लोग चुनाव के बाद पार्टी के कार्यक्रमों में भाग नहीं लेते हैं. पार्टी का नामांकन देते समय इस पर सख्ती से ध्यान दिया जाना चाहिए. कई लोग पार्टी में चुनावी उम्मीदवारी के लिए आते हैं और चुनाव के बाद गायब हो जाते हैं ऐसे आयाराम, गयाराम से बचना चाहिए . ऐसे लोगों से पार्टी का कोई फायदा नहीं है. इसलिए ऐसे उम्मीदवारों को उम्मीदवारी नहीं दी जानी चाहिए, जिन्होंने पांच साल तक पार्टी के झंडे के नीचे नियमित कार्यक्रम किए हैं, उन्हें उम्मीदवारी के लिए प्राथमिकता दी जानी चाहिए,
मुंबई में भाजपा और शिंदे गुट मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. मनपा चुनाव के साथ ही भाजपा अभी से 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट गई है. ऐसे में यदि कांग्रेस मुंबई और पुणे में अपने बल पर चुनाव लड़ती है तो शिवसेना के साथ राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को भी नुकसान उठाना पड़ सकता है. मुंबई में कांग्रेस मुस्लिमों की पार्टी तक सीमित हो गई है. मुंबई में कांग्रेस के ज्यादातर मुस्लिम नगरसेवक ही चुन कर आए थे. कांग्रेस नेताओं को लगता है कि आघाड़ी सरकार के साथ चुनाव लड़ने से उनका वोट बैंक तो शिवसेना, एनसीपी को ट्रांसफर हो जाएगा लेकिन शिवसेना को वोट कांग्रेस उम्मीदवार को नहीं मिलेगा. उस पर तुर्रा यह कि मनपा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस को बड़ा झटका मिल सकता है. उसके कुछ नेता पार्टी को राम-राम कहने की तैयारी में हैं.




