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नवरात्रि के नवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा/कैसे बनें भगवान शिव अर्धनारीश्वर

ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री जी से जानिए मां सिद्धिदात्री की महिमा

प्रार्थना मंत्र
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

माता सिद्धिदात्री की पूजा नवरात्रि के नौवें दिन की जाती है.(Worship of Mother Siddhidatri on the ninth day of Navratri)  उनके नाम का अर्थ, सिद्धी मतलब आध्यात्मिक शक्ति और दात्री मतलब देेने वाली, अर्थात् सिद्धी को देने वाली. देवी भक्तों के अंदर की बुराइयों और अंधकार को दूर करती हैं और ज्ञान का प्रकाश भरती हैं.
     माता सिद्धिदात्री का स्वरूप
माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान हैं और वे शेर की सवारी करती हैं. उनकी चार भुजाएं हैं जिनमें दाहिने एक हाथ में वे गदा और दूसरे दाहिने हाथ में चक्र तथा दोनों बाएं हाथ में क्रमशः शंख और कमल का फूल धारण की हुईं हैं. देवी का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है.
पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सभी प्रकार की सिद्धियों को पाने के लिए देवी सिद्धिदात्री की उपासना की थी. तब देवी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी को सभी सिद्धियां प्रदान की थीं. तब से शिव जी का आधा शरीर देवी सिद्धिदात्री का हो गया. जिसके बाद शिव जी को अर्धनारीश्वर कहा गया.

ज्योतिषीय विश्लेषण
ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं. देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं.

मंत्र
ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः॥

स्तुति

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
कमलस्थिताम् चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्विनीम्॥

 

ज्योतिष सेवा केन्द्र
ज्योतिषाचार्य पंडित अतुल शास्त्री
09594318403/09820819501
email.panditatulshastri@gmail.com
www.Jyotishsevakendr.in.net

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