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महाराष्ट्र सरकार ने बताया कहां अटकी देश की पहली बुलेट ट्रेन

बॉम्बे हाईकोर्ट में होगा निपटारा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
  मुंबई. मुंबई से अहमदाबाद तक प्रस्तावित देश की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना कहां अटकी है.(Maharashtra government told where the country’s first bullet train got stuck) इसका खुलासा महाराष्ट्र सरकार ने किया है. बुलेट ट्रेन परियोजना की शुरुआत गाजे बाजे के साथ की गई थी लेकिन समय बीतने के साथ इसकी रफ्तार धीमी पड़ गई. महाराष्ट्र में जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया लगभग पूरी होने वाली है. लेकिन मुंबई की एक जमीन को लेकर पेंच फंसा हुआ है.
राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणी ने सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि गोदरेज और बॉयस से संबंधित भूमि को छोड़कर बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है. उन्होंने यह भी दोहराया कि गोदरेज की गतिरोध वाली भूमिका के कारण ही परियोजना रुकी हुई है.
गोदरेज साइट को छोड़कर, परियोजना के लिए आवश्यक अन्य भूमि अधिग्रहण प्रक्रियाएं पूरी कर ली गई हैं. कुंभकोणी ने अदालत से कहा कि उक्त परियोजना महत्वपूर्ण है और तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है,‌‌ कंपनी भी याचिका पर जल्द सुनवाई की भी मांग की है. गोदरेज की सहमति का संज्ञान लेते हुए जस्टिस रमेश धानुका और जस्टिस एस जी डांगे की बेंच मामले की सुनवाई के लिए 5 दिसंबर की तारीख तय की है.
भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अवैध
गोदरेज एंड बॉयस कंपनी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि राज्य सरकार की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया अवैध है।  भूमि अधिग्रहण की लागत का विवरण देने वाली कोई रिपोर्ट तैयार नहीं की गई थी और संपूर्ण निर्णय लेने की प्रक्रिया कानून के अनुसार नहीं थी.  गोदरेज ने यह भी दावा किया कि कंपनी को दी गई 264 करोड़ रुपए की अंतिम मुआवजा राशि कंपनी को भूमि अधिग्रहण के लिए पेश किए गए शुरुआती 572 करोड़ रुपए का एक अंश थी. सामाजिक परिवर्तनों का अध्ययन करने के लिए शर्त के दुरुपयोग को रोकने के लिए भूमि अधिग्रहण अधिनियम में संशोधन किया गया. राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया के चरण में कंपनी अक्सर बाधा उत्पन्न करती रही है. नतीजतन, परियोजना ठप हो गई और इसकी लागत 1000 करोड़ रुपए से अधिक बढ़ गई, जिससे राज्य के खजाने पर करोड़ों रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ा. राज्य सरकार ने दावा किया कि परियोजना में देरी से करोड़ों रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है.
क्या है मामला
राज्य सरकार ने पिछले महीने विक्रोली में गोदरेज की जमीन के लिए 264 करोड़ रुपए का मुआवजा तय किया था. यह विक्रोली से ठाणे तक जाने वाली 21 किमी भूमिगत सुरंग है और सरकार ने पुनर्वास और पुनर्स्थापन अधिनियम, 2013 के तहत विक्रोली में 39,547 वर्ग किलोमीटर भूमि के निजी अधिग्रहण के लिए मार्च 2018 में एक नोटिस जारी किया था. उसके बाद उप जिलाधिकारी ने मुआवजे की राशि तय की. लेकिन कंपनी ने याचिका में दावा किया है कि 15 जुलाई 2020 को सुनवाई के 26 महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भूमि अधिग्रहण रद्द हो गया है.

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