प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ने वाले 261बिल्डरों को महारेरा ने भेजा नोटिस
मुंबई में 120 पुणे में 67, ठाणे में 43 और रायगड में 15 प्रोजेक्ट को नोटिस

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. महाराष्ट्र में हाऊसिंग प्रोजेक्ट को अधूरा छोड़ने वाले 261 बिल्डरों को महारेरा ने नोटिस जारी किया है. (Maharera sent notice to 261 builders who left the project incomplete
) इस नोटिस में महारेरा प्रोजेक्ट अधूरा छोड़ने के कारणों का हवाला दिया है. महारेरा के अनुसार यह ऐसी परियोजनाएं हैं जहां 40% से कम निर्माण कार्य किया गया और उनमें 25 करोड़ रुपए से लेकर 500 करोड़ रुपए तक का निवेश हुआ है. इन अधूरी परियोजनाओं में घर खरीदने वाले ग्राहकों को दिसंबर 20 23 तक कब्जा देने की उम्मीद थी. परियोजनाओं में करीब 45,539 फ्लैटों में से 26,178 फ्लैटों का रजिस्ट्रेशन भी हो चुका है. परियोजनाएं अधूरी रहने के कारण ग्राहकों का पैसा तो फंसा ही है उन्हें समय पर घर का पजेशन भी नहीं मिल रहा है.
महारेरा ने डेवलपर्स को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए प्रोजेक्ट में की गई गलतियों का भी जिक्र किया है. महारेरा ने 9 महीनों के भीतर यह प्रोजेक्ट कैसे पूरे करेंगे, इसकी विस्तृत जानकारी भी मांगी है.
रियल एस्टेट क्षेत्र में घर खरीदारों और निवेशकों का निवेश सुरक्षित रखने के लिए महारेरा प्रयास कर रहा है. अधूरे प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए महारेरा ने ‘प्रोजेक्ट मॉनिटरिंग सिस्टम’ लागू किया है जो देश के किसी भी प्राधिकरण में मौजूद नहीं है. इस प्रणाली की मदद से महारेरा ने पंजीकृत परियोजनाओं की कड़ी निगरानी शुरू कर दी है. महारेरा अध्ययन कर डेवलपर्स द्वारा की गई त्रुटियों की खोज की है.
जिन परियोजनाओं को नोटिस दी गई है उसमें मुंबई में 120, पुणे में 67, ठाणे में 43, रायगढ़ में 15, पालघर में 6, नागपुर में 3, नासिक में 2 और सतारा, कोल्हापुर, अमरावती और औरंगाबाद की 1-1 परियोजनाएं हैं.
महारेरा के अनुसार जो प्रोजेक्ट अधूरे हैं उनमें 40% से कम पूर्ण परियोजनाएं हैं, वास्तव में 53 परियोजनाओं में से 10% से कम, 44 परियोजनाओं में 10 से 20%, 60 परियोजनाओं में 20 से 30 फीसदी और 104 परियोजनाओं में 30 से 40 फीसदी ही काम हुआ है.
इसमें 25 फीसदी निवेश वाली 106 परियोजनाएं हैं. 25 से 50% निवेश वाली 92 परियोजनाएं, 50 से 75% निवेश वाली 47 परियोजनाएं और 75 से 100% निवेश वाली 15 परियोजनाएं हैं. महारेरा के अनुसार एक परियोजना में 100 प्रतिशत से अधिक निवेश के बावजूद वास्तविक कार्य 20 से 30 फीसदी ही किया गया है.