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एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा

किताब के विमोचन के बाद इस्तीफे पर बवाल,

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई.एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार (Sharad pawar) आज नाटकीय ढंग से एनसीपी कांग्रेस अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया. उनके अचानक इस्तीफे के पार्टी बवाल मच गया है. शरद पवार की किताब ‘लोक माजे संगती’ के दूसरे भाग का आज यशवंतराव चव्हाण सभागृह में विमोचन किया गया. (NCP President Sharad Pawar resigns from the post of President)

पिछले सप्ताह उन्होंने कहा था कि अब रोटी पलटने का वक्त आ गया है तब से अटकलें लगाई जा रही थीं कि पवार क्या कोई बड़ा राजनीतिक खेल करने जा रहे हैं. पवार के इस्तीफे के बाद एनसीपी अध्यक्ष का पद किसे मिलेगा इसको लेकर भी कयास लगाए जाने लगे हैं. यह मौका भतीजे अजीत पवार को मिलेगा या बेटी सुप्रिया सुले को अथवा किसी और नेता को मौका मिलेगा अभी इसका खुलासा नहीं किया गया है. शरद पवार को महाविकास आघाड़ी सरकार का रचयिता कहा गया था, उनके भतीजे अजीत पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ शपण ग्रहण कर लाए थे. अब शरद की नई किताब में कई राजनीतिक विषयों का खुलासा किया गया है.
शरद पवार की किताब ‘लोक माजे संगती’ के दूसरे भाग का आज विमोचन हुआ. इस किताब में शरद पवार ने कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं. इस किताब के कारण सुबह ली गई शपथ एक बार फिर चर्चा में आ गई है. 2019 के विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था. तब एनसीपी नेता अजीत पवार और देवेंद्र फडणवीस ने मिलकर सरकार बनाई थी. अजीत पवार उपमुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी.
    चर्चा थी कि इस शपथ ग्रहण के पीछे शरद पवार का हाथ है. कुछ दिन पहले एनसीपी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी परोक्ष रूप से कहा था कि सुबह जल्दी शपथ ग्रहण कराने के पीछे शरद पवार का हाथ था. राज्य से राष्ट्रपति शासन खत्म करने के लिए यह एक रणनीति थी. हालांकि शरद पवार ने इस पर कभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. लेकिन अब उन्होंने अपनी किताब में इस बात का खुलासा किया है. शरद पवार ने माना है कि जब उन्होंने अपनी किताब लोक माजे संगती, (लोग हमारे साथी) के दूसरे भाग में भोर में अजित पवार के शपथ ग्रहण के बारे में सुना तो वे चौंक गए थे.
शरद पवार से नहीं मिलते थे उद्धव ठाकरे
  इस बीच शरद पवार ने भी अपनी किताब में उद्धव ठाकरे को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे किए हैं.महाविकास अघाड़ी सरकार गिरने से पहले शिवसेना में बगावत बाद उद्धव ठाकरे इस्तीफा दे दिए थे. हमें इसका अंदाजा नहीं था कि अगर उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया तो इससे शिवसेना में तूफान खड़ा हो जाएगा. इस आक्रोश को शांत करने के लिए शिवसेना नेतृत्व विफल रहा. जिस तरह बालासाहेब ठाकरे के साथ बात करने की सहजता थी वैसी उद्धव ठाकरे के साथ बातचीत के दौरान कभी महसूस नहीं हुई  शरद पवार ने अपनी किताब में लिखा कि  स्वास्थ्य और डॉक्टर के परामर्श के कारण उद्धव ठाकरे मिलने के लिए समय नहीं देते थे.

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