कोस्टल रोड निर्माण यूबीटी के श्रेय लेने पर फडणवीस का पलटवार, कोस्टल रोड बनाने की अनुमति हम लेकर आए लेकिन उद्धव ने भूमिपूजन में भी नहीं बुलाया

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस और अजीत पवार की उपस्थिति में मुंबई कोस्टल रोड (Costal Road) का उद्घाटन कर दिया गया. मंगलवार से सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक यह रोड आवागमन के लिए खुला रहेगा. कोस्टल रोड बनाने का श्रेय शिवसेना ठाकरे गुट द्वारा लेने पर देवेन्द्र फडणवीस ने पलटवार करते हुए कोस्टल रोड निर्माण की पूरी कहानी सामने रख दी. फडणवीस ने कहा कि केंद्र में कांग्रेस की सरकार रहते कोस्टल रोड बनाने की अनुमति नहीं मिली थी. केंद्र में मोदी सरकार आने के बाद मुख्यमंत्री के नाते हम कोस्टल रोड के सभी अनुमति लेकर आए लेकिन भूमिपूजन के दौरान उद्धव ठाकरे ने हमें ही नहीं बुलाया. (Fadnavis’s counterattack on taking credit for coastal road construction UBT, we brought permission to build coastal road but Uddhav did not even invite him in Bhoomi Pujan)
फडणवीस ने कहा कि कोस्टल रोड की अवधारणा नई नहीं है. यह अवधारणा वर्षों से चली आ रही है. उद्धव ठाकरे ने तो मनपा के दो चुनावों में कोस्टल रोड का प्रजेंटेशन दिखा कर लड़ा. लेखक कोस्टल रोड कभी नहीं बना. इन शब्दों के साथ फडणवीस ने उद्धव ठाकरे पर हमलावर रहे.
फडणवीस ने कहा कि 2004 से 2014 तक यूपीए ने राज्य और केंद्र में शासन किया. कोस्टल रोड निर्माण में सबसे बड़ी बाधा क्या थी? इसलिए हमारे नियमों में सी-लिंक के निर्माण की अनुमति दी गई थी, लेकिन कोस्टल रोड की अनुमति नहीं थी. ऐसा इसलिए है क्योंकि कोस्टल रोड के लिए पुनर्ग्रहण किया जाना है, और पुनर्ग्रहण सीआरजेड की रेखा को बदल देता है. इसलिए, केंद्र सरकार की भूमिका यह थी कि वह पुनर्ग्रहण की अनुमति नहीं देगी. लेकिन यूएपीए के मुख्यमंत्रियों के ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली जाता थे और हाथ हिलाते हुए वापस आ जाते थे. उन्हें कभी अनुमति नहीं मिली. लेकिन केंद्र में मोदी सरकार आने और राज्य में महायुति की सरकार आने पर हमने फिर कोशिश शुरू की. कोस्टल रोड को लेकर हमने केंद्र सरकार के साथ लगभग पांच बैठकें कीं. इस बैठक में हमने इस बात पर काम किया कि प्रत्येक बाधा को कैसे दूर किया जाए. लेकिन जब भी बैठक होती थी तो एक नया मुद्दा सामने आता था और जब कोई नया मुद्दा आता था तो फिर से एक बड़ा मतभेद पैदा हो जाता था.
फडणवीस ने कहा कि यह सब करने में हमारे पास ती विकल्प था. एमएसआरडीसी, एमएमआरडीए से कराए़ं या मनपा सेइ. लेकिन उस वक्त उद्धव ठाकरे ने मुझसे कहा कि मैंने कोस्टल रोड का प्रेजेंटेशन दिया है. इसलिए मनपा को यह काम करने दीजिए. तब मैंने मुख्यमंत्री से कहा कि वह मेरे मंत्री हैं. बता दें कि कोस्टल रोड की फ्रंट लाइन एमएमआरडीए के पास है और इसे मनपा को दे दें.लेकिन मुझे बहुत आश्चर्य है कि सब कुछ मैंने किया और जब भूमि पूजन होना था तो रातों-रात भूमि पूजन का निर्णय लिया और मुख्यमंत्री होते हुए भी उद्धव ठाकरे ने मुझे भूमि पूजन में नहीं बुलाया. फिर भी मुंबई के विकास के लिए हम चुप रहे.
हमने कभी श्रेय के लिए लड़ाई नहीं की. खास बात यह है कि जब मैं मुख्यमंत्री था तो कमिश्नर से कहकर भूमिपूजन रुकवा देता. मैं कमिश्नर से कह सकता था कि यह प्रोजेक्ट आज से आपसे हटा लिया गया है और मैं यह प्रोजेक्ट एमएमआरडीए या एमएसआरडीसी को दे रहा हूं. लेकिन मैंने ऐसा कभी नहीं किया. क्योंकि हम मुंबई का विकास चाहते थे. साथ ही, मुंबई हमसे बड़ी है, मुंबई हमारी साख से बड़ी है.
कोस्टल रोड उद्घाटन पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी ठाकरे पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने वर्ली के मछुआरों की बात नहीं मानी. हम मुख्यमंत्री बने तब हमने मछुआरों की समस्या हल की. थोड़ा खर्च अधिक लगा, समय ज्यादा गया लेकिन 120 मीटर सि़गल स्पैन बना कर मछुआरों की नावों के लिए राह आसान की, हमेशा के लिए उनकी तकलीफों दूर कर दी.




