मराठी बोर्ड नहीं लगाया तो… भरना होगा दोगुना प्रापर्टी टैक्स
बीएमसी कमिश्नर डॉ भूषण गगरानी का सख्त निर्देश

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई की दुकानों और प्रतिष्ठानों में मोटे बड़े अक्षरों में मराठी (Maratha Borad); भाषा वाला बोर्ड नहीं लगाने पर अब दोगुना प्रापर्टी टैक्स देना पड़ेगा. बीएमसी कमिश्नर भूषण गगरानी ने मराठी बोर्ड नहीं लगाने वाले दुकानदारों को सख्त हिदायत दी है. भूषण गगरानी ने कहा कि सभी दुकानों, प्रतिष्ठानों और ऑफिसेज में सुप्रीम कोर्ट कोर्ट के निर्देशों के अनुसार मराठी भाषा, देवनागरी लिपि में मोटे अक्षरों में बोर्ड लगाना अनिवार्य है. 1 मई 2024 तक जो इस आदेश का पालन नहीं करेंगे, उन्हें दोगुना प्रापर्टी टैक्स चुकाना होगा. (:Marathi board is not installed… you will have to pay double property tax)
मराठी बोर्ड नहीं लगाने वाली दुकानों, प्रतिष्ठानों का लाइसेंस भी रद्द कर दिया जाएगा. इल्यूमिनेटेड साइन बोर्ड यानी ग्लो साइन बोर्ड के लिए जारी लाइसेंस भी तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया जाएगा. मुंबई में मराठी बोर्ड लगाने का मुद्दा हमेशा से गर्म रहा है. मराठी बोर्ड नहीं लगाने वालों के खिलाफ पूर्व में की आंदोलन हो चुके हैं. राज्य सरकार ने भी पिछले साल मराठी भाषा वाला बोर्ड लगाना अनिवार्य किया था.
मराठी भाषा में साइन बोर्ड लगाने को लेकर बीएमसी कमिश्नर गगरानी सोमवार को मनपा मुख्यालय में समीक्षा बैठक बुलाई थी. इस बैठक में आयुक्त ने यह निर्देश जारी किए हैं. यानी बड़े अक्षरों वाले बोर्ड नहीं लगाने पर अब दुकानदारों को ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ेगी. लाइसेंस रद्द होने के बाद उन्हें ने सिरे से लाइसेंस बनवाने की कवायद करनी होगी.
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका के मुताबिक दुकानों और प्रतिष्ठानों के नाम बोर्ड मराठी देवनागरी लिपि में मोटे अक्षरों में लगाने के लिए दो महीने की समय सीमा दी गई थी. यह समय-सीमा शुक्रवार, 25 नवंबर, 2023 को समाप्त हो गई. बीएमसी लाइसेंस विभाग की टीम ने मुंबई की 87,047 दुकानों और प्रतिष्ठानों का निरीक्षण किया. इसमें करीब 84,007 यानी 96.50 फीसदी दुकानें और प्रतिष्ठान मराठी देवनागरी में लिखी नेमप्लेट लगाए हुए पाए गए।श. जबकि 3040 दुकानों व प्रतिष्ठानों ने नियमानुसार बोर्ड नहीं लगाए तो उन्हें कानूनी नोटिस जारी किए गए हैं.
बीएमसी उपायुक्त किरण दिघावकर ने बताया कि इस मामले में 1 हजार 928 को नोटिस जारी किया गया है इन प्रकरणों को कोर्ट में मुकदमा किया गया. 177 मामलों की सुनवाई पूरी हुई है. संबंधित दुकानों एवं प्रतिष्ठान व्यवसायियों पर 13 लाख 94 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है, अभी 1 हजार 751 मामलों की सुनवाई चल रही है.