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बीजेपी की चाल में फंस गए स्वामी प्रसाद

आरपीएन सिंह के भाजपा में आने से उड़ी नींद

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
 Up Election 2022:लखनऊ, राहुल गांधी के बेहद करीबी और पडरौना (Padrona ( राजघराने के आरपीएन सिंह (Rpn Singh join Bjp)कांग्रेस से इस्तीफा देकर मंगलवार को भाजपा में शामिल हो गए. उनके भाजपा में शामिल होने के बाद पडरौना से घोषित कांग्रेस प्रत्याशी मनीष जायसवाल ‘मंटू’ और कांग्रेस जिलाध्यक्ष  ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया. लेकिन कांग्रेस से ज्यादा भाजपा छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए स्वामी प्रसाद (Swami Prasad Karta)के लिए बुरी खबर है. अब वे भाजपा चाल बुरी तरह से फंस (Caught In BIjps Trick) गये. कांग्रेस का तो जिले से सफाया हो गया है. आरपीएन के भाजपा में शामिल होने से मौर्य की नींद उड़ गई है.
दूसरी सीट खोज रहे स्वामी
 स्वामी प्रसाद मौर्य पडरौना से ही चुनाव लड़ते हैं. पड़रौना भी कुशीनगर जिले में आता है जहां इस राजघराने का वर्चस्व है. आरपीएन सिंह तब 1996 से लेकर 2009 तक वहीं से कांग्रेस के टिकट पर जीत कर विधानसभा में पहुंचे थे. 2009 में वे सांसद बने. स्वामी प्रसाद जब बसपा में थे तब आरपीएन स़िह ने उन्हें हराया था.
मौर्य के बेटे को भी टिकट नहीं
 स्वामी प्रसाद के बेटे उत्कृष्ट मौर्य को सपा ने ऊंचाहार से तो टिकट नहीं दिया अब आरपीएन के भाजपा में आने से मौर्य का भी पड़रौना से आरपीएन सिंह के खिलाफ उतरने में टांगें कांपने लगी हैं. स्वामी प्रसाद अब अपनी सीट बदलने के लिए अखिलेश यादव के आगे पीछे घूम रहे हैं. हालंकि उन्हें कहां से टिकट दिया जाएगा अभी इसकी घोषणा नहीं हुई है. यदि पडरौना से चुनाव लड़ते हैं तो हार तय मानी जा रही है. इसलिए वे सेफ सीट की तलाश कर रहे हैं जिससे वहां से जीत कर अपनी इज्जत बचा सकें. भाजपा को उत्तर प्रदेश में नेस्तनाबूद करने की धमकी देने वाले स्वामी प्रसाद  खुद को संकट में घिरा पा रहे हैं.
 शिवपाल भी हुए बोल्ड
  शिवपाल यादव भी अपनी पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का सपा के साथ गठबंधन कर लिया है. मजबूरी में ही सही चचा भतीजे का मन मिल गया. लेकिन अखिलेश चचा शिवपाल को भी धोखा दे गए. शिवपाल यादव को जसवंत नगर सीट दे दिया लेकिन शिवपाल के बेटे और उनके एक भी समर्थक को टिकट नहीं दे सके. समर्थकों को टिकट नहीं मिलने से चाचा भतीजे पर नाराज हो गए हैं.
 दूसरी पार्टियों से आये नेताओं को एडजस्ट करने के चक्कर में अखिलेश अपने कार्यकर्ताओं को नाराज कर दिया है. अब वे नाराज नेताओं में किसी को जिलाध्यक्ष बना रहे हैं तो किसी को विधान परिषद में भेजने का आश्वासन दे रहे हैं. कुछ तो उनकी बात मान रहे हैं लेकिन कुछ  पार्टी छोड़ कर दूसरी पार्टियों में जा रहे हैं.

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