मोनोरेल तीन घंटे बाद भी फंसे यात्रियों का रेस्क्यू ऑपरेशन जारी, मोनोरेल बनी मुंबई के लिए अभिशाप

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई। मुंबई में चेंबूर से सात रास्ता के बीच चलने वाली मोनोरेल मंगलवार को मैसूर कॉलोनी में अचानक बंद पड़ गई। मोनोरेल में क्षमता से अधिक यात्री भरे हुए थे जिसमें पुरुष, महिलाओं के अलावा कुछ मरीज भी थे। शाम 6.15 बजे बिजली सप्लाई बंद होने के साथ 40 फीट ऊपर पैसेंजर अटक गए। मोनोरेल कोच चारों तरफ से सील होने के कारण यात्रियों का सांस लेना कठिन हो गया। यात्रियों ने बीएमसी के आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर 1916 पर फोन कर मदद मांगी जिसके आधे घंटे बाद यात्रियों का रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू हुआ जो तीन घंटे बाद चलता रहा। अब तक 300 यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया है। फायर ब्रिगेड की तीन स्नोर्केल वाहन से यात्रियों का रेस्क्यू किया जा रहा है। सांस लेने में परेशानी की वजह से 6 यात्रियों तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई है। (Rescue operation of passengers stranded on Monorail continues even after three hours, Monorail has become a curse for Mumbai)
23 सितंबर 2019 को भी मैसूर कॉलोनी के पास तेज आवाज के साथ मोनोरेल बंद हो गई थी। उस समय यात्रियों को निकालने में एक घंटा लगा था।
लोकल ट्रेन बंद होने के कारण मोनोरेल में भीड़ बढ़ गई थी। यात्रियों की अधिक क्षमता होने के कारण करी रोड स्टेशन के टिकट खिड़की पर टिकट देना बंद कर दिया गया था। लेकिन यात्रियों के हंगामा करने पर टिकट दे दिया गया जिसके बाद क्षमता से अधिक यात्री ठूंस कर भर गए। उसके बाद मैसूर कॉलोनी के पास मोड़ पर मोनो बंद पड़ गई।
मोनो रेल निर्माण में 2,700 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। इसके सालाना मेंटिनेंस पर खर्च 10 करोड़ रुपए खर्च आ रहा है। जबकि वार्षिक 3 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। जब मोनोरेल शुरू की गई थी तब कहा गया था कि इसमें प्रतिदिन 10,000 यात्री सफर कर सकेंगे लेकिन मोनोरेल का पार्ट नहीं मिलने, कंपनियों द्वारा अपना हाथ खींच लेने से मोनोरेल बोझ बन कर रह गई। चेंबूर से संत गाडगे महाराज चौक तक की दूरी 19.54 किमी है लेकिन कोच की कमी के कारण अपनी पूरी क्षमता से नहीं चल सकी।





