
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
दिल्ली. उच्च वित्तीय घाटा और अर्थव्यवस्था की सुदृढ़ता के मद्देनजर योजनाओं की अस्पष्टता के कारण ऑटोनॉमी वृद्धि खतरनाक हो सकती है. यह चेतावनी विश्व विख्यात संस्था फिंच ने दी है. संस्था का कहना है कि सकल घरेलू उत्पाद(Gdp) की तुलना में कर्ज में गुणात्मक वृद्धि का जोखिम और भी खतरनाक होगी.
फिंच का आंकलन है कि बजट में प्रस्तावित हैवी एक्सपेंडिचर जीडीपी बढ़ाने में अवश्य सहायक होगा. इससे अन्य जोखिम का परिणाम कम होगा और देश की इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी. नवंबर 2021 में फिंच का दृष्टिकोण भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर नकारात्मक था. लेकिन 1 फरवरी2022 को पेश किए बजट में वित्तीय सुदृढ़ता के बजाय अर्थव्यवस्था को मजबूत करने पर जोर दिया गया. फिंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय घाटे के निर्धारित लक्ष्य हमारे अनुमान से अधिक रखा गया है. जो कि कर्ज-जीडीपी गुणात्मक के गिरते आलेख की अपेक्षा से भी अधिक है.
आर्थिक वर्ष 2020-21 के लिए भारत का कुल कर्ज जीडीपी की तुलना में 87% था. जो फिंच की अनुमानित 60% दर से बहुत अधिक है. चालू आर्थिक वर्ष में सरकार ने ऑटोनॉमी में वृद्धि का प्रस्ताव रखा है. आगामी 2022-23 में खर्च की आवश्यकता पूरा करने के लिए सरकार 11 6लाख करोड़ रुपये कर्ज लेने वाली है. चालू आर्थिक वर्ष के लिए बजट में 9.7 लाख करोड़ रुपये के प्रस्तावित कर्ज की रकम की अपेक्षा 2 लाख करोड़ रुपये अधिक है.
बजट में वर्तमान 2021-22 आर्थिक वर्ष के लिए वित्तीय घाटा जीडीपी की तुलना में 6.9 फीसदी सुधारित उद्देश्य के लिए रखा गया है. जबकि फिंच का अनुमान 6.6 प्रतिशत था. उसी प्रकार आर्थिक वर्ष 2022-23 के लिए रखा गया मानक 6.4% है जबकि फिंच ने 6.1% का अनुमान लगाया था.