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अथर्ववेद ने पहले ही बता दिया था पृथ्वी हैं जीवित ‘भूदेवी’
वैज्ञानिक शोध से पृथ्वी के जीवित होने का खुलासा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. जिस पृथ्वी को हमारे ग्रंथ अथर्ववेद ने हजारों वर्ष पहले दुनिया को बता दिया था कि हमारी पृथ्वी जीवित है, ‘भूदेवी’ है आज वैज्ञानिक उस पर अपनी मुहर लगा रहे हैं. अभी हाल ही में एक नए वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि पृथ्वी एक ‘जीवित वस्तु’ है. उसके पास अपना दिमाग भी है. पृथ्वी अपनी बुद्धिमत्ता से अपना संतुलन खुद बनाती है. पृथ्वी पर किए गए रिसर्च के बाद एस्ट्रोबायोलॉजिस्ट ने पाया है कि जिस धरती पर हमलोग रहते हैं, वो न सिर्फ जीवित है बल्कि उसके पास अपनी बुद्धि भी है. वैज्ञानिकों ने इसे ‘प्लानटेरी इंटेलिजेंस’ नाम दिया है. जिसमें किसी भी ग्रह के पास सामूहिक ज्ञान से लेकर जानने-समझने की क्षमता की बात भी की गई है.
” अथर्ववेद के भूमिसूत्र (12.1)” में लिखा गया है कि “माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः”.

इस रिसर्च को ‘इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एस्ट्रोबायोलॉजी’ में प्रकाशित किया गया है. हमारे वेदों ने हजारों वर्ष पहले ही पृथ्वी को जीवित मानते हुए इसे भूदेवी’ कहा है. “अर्थववेद में लिखा है कि पृथ्वी सिर्फ एक वस्तु नहीं, बल्कि जीवित प्राणी है” इस रिसर्च पेपर में वैज्ञानिकों ने कहा है कि ऐसे कई सबूत मिले हैं जो बताते हैं कि पृथ्वी पर फंगी का अंडरग्राउंड नेटवर्क मौजूद है. ये आपस में लगातार बातचीत’ करते रहते हैं. इससे रेखांकित किया गया है कि धरती के पास अपनी ‘अदृश्य बुद्धिमत्ता’ मौजूद है. इस पेपर को तैयार करने वाले ‘यूनिवर्सिटी ऑफ
रोचस्टर’ के एडम फ्रैंक ने बताया कि हम सामुदायिक रूप से ग्रह के इंट्रेस्ट्स में उन्हें प्रतिक्रिया नहीं दे सकते. उनका इशारा उन मानवीय गतिविधियों की तरफ था, जिससे पृथ्वी पर असर पड़ रहा है धरती में ये बदलाव मानवीय गतिविधियों की वजह से पर्यावरण, प्रदूषण और संसाधनों के दोहन में आ रहे हैं. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की बुद्धि और ज्ञान को समझ कर हमें इसका भान होगा कि हम इसके साथ कैसा व्यवहार करें और इसकी मदद करने के साथ-साथ संसाधनों का उपयोग किस तरह से करें.
एडम फ्रैंक का मानना है कि इससे मानवों को एलियंस की खोज में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि सच्ची ‘प्लानटोरी इंटेलिजेंस’ तभी देखने को मिलेगा, जब तकनीक के उच्च-स्तर पर पहुंची सभ्यता एक-दूसरे की हत्या नहीं करेगी.
रिसर्च के लेखकों का मानना है कि इस अध्ययन से क्लाइमेट चेंज से निपटने के तौर-तरीकों के साथ-साथ दूसरे ग्रहों पर जीवन की संभावनाएं तलाशने में भी मदद मिलेगी. ऐसे ग्रह, जहां ‘जीवन’ और ‘बुद्धिमत्ता’ का विकास हो सके. ‘ग्रहीय बुद्धिमत्ता’ के कॉन्सेप्ट पर विचार करें तो पृथ्वी के पास तर्कवितर्क की क्षमता के साथ-साथ फंगस के माध्यम से सूचनाओं के आदान-प्रदान की योग्यता भी है. ये ऐसा ही है, जैसे पेड़-पौधे फोटोसिंथेसिस के माध्यम से खुद को जिंदा रखते हैं.यह पहली बार नहीं है कि वेदों में श्लोकों के माध्यम से लिखे गए तथ्यों को प्रमाणिकता मिली है. पृथ्वी से चंद्रमा की दूरी हो या ‘राम सेतु’ जिसे वेदों में लिखा गया था उसे विज्ञान ने बाद में प्रमाणित किया. हमारे ऋषि मुनि अपनी तपस्या से सब ज्ञात कर लेते थे. जहां तक पहुंच पाने में विज्ञान को भी हजारों वर्षों तक रिसर्च करना पड़ेगा.