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60 फीसदी गायब हो गई नन्ही गौरैया

शहरों में नहीं सुनाई पड़ती आवाज

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. “चीं चीं करती आती चिडिया, सबका मन बहलाती चिडिया” आज  उसी चिडिया यानी गौरैया (sparrow Day )का दिवस है. हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि विश्व में गौरैया की संख्या 60% कम हो गई है. यह छोटी नन्हीं पक्षी  विलुप्त होने की कगार पर आ गई है. शहरों से इसकी आवाज गायब हो चुकी है और ग्रामीण इलाकों में भी संख्या घटती जा रही है. गौरैया पर विभिन्न संस्थानों द्वारा किये गए शोध से पता चलता है कि इसकी आबादी खतरनाक स्तर पर कम हुई है. इसे बचाने का सामूहिक प्रयास नहीं किया गया तो यह भी. कुछ समय बाद केवल किस्से कहानियों का हिस्सा बन कर रह जाएगी.

कभी फुदक कर घर के आंगन में, मुंडेर, पेड पर बैठने वाली गौरेया की सभी प्रजातियां खतरे में है. दरअसल यह दूसरे पक्षियों से बचने के लिए मानव बस्तियों के आस पास अपना घोंसला बनाती हैं. लेकिन सफाई के नाम पर मानव ही इसके घोसलों को उजाड़ देते हैं. हालांकि अब कई स्तर पर इसे बचाने का प्रयास शुरु किया गया है.

ब्रिटेन की रॉयल सोसायटी ऑफ बर्डस ने भारत सहित पूरे विश्व में गौरैया पर शोध किया. जिसके आधार पर इसे रेड लिस्ट में डाल दिया गया है. आंध्र विश्व विद्यालय द्वारा किये गए अध्ययन में गौरैया की आबादी 60% कम होने का निष्कर्ष निकाला गया है.

गौरैया की आबादी बचाने के नेचर फॉर एवर सोसायटी ऑफ इंडिया और फ्रांस की इकोसेज एक्शन फाउंडेशन ने की थी. सोसायटी की शुरुआत पर्यावरणविद  मोहम्मद दिलावर ने की थी.उनके प्रयासों को वर्ष 2008 में टाइम मैगजीन ने ‘हीरोज ऑफ एनवायरमेंट’ बताकर जगह दिया था. उसके बाद 2010 में पहली बार गौरैया दिवस मनाया गया. तब से हर साल 20 मार्च को गौरैया दिवस मनाया जाता है.

गौरैया दिवस

चिड़िया आई, चिड़िया आई,

ची-ची, चूं-चूं, गीत सुनाई।

अब तक क्यों सोये हो बंधु,

प्रातः आकर हमें जगाई।

जल्दी से तुम उठ भी जाओ,

क्यों ले रहे हो तुम अंगड़ाई।

सदा प्रेम से रहना दोस्तों,

आपस में मत करो लड़ाई।

छोटे -बड़े का भाव मन में,

रखें कभी ना भाई – भाई।

-बलदाऊ राम साहू

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