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वाइस चांसलर की नियुक्ति पर सरकार राज्यपाल में विवाद

राज्यपाल ने संशोधन बिल को नहीं दी मंजूरी

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. महाराष्ट्र केराज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Governer Bhagat singh koshyari) ने विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. राज्यपाल ने यह कहते हुए प्रस्ताव खारिज कर दिया कि वह चुनाव की तारीख की घोषणा नहीं कर सकते क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. इसलिए जहां विधानसभा अध्यक्ष की चुनाव प्रक्रिया अब स्थगित कर दी गई है, वहीं राज्यपाल ने अभी तक कुलपति (vice chancler appointments) की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने वाले विधेयक को मंजूरी नहीं दी है. इससे मुंबई, पुणे और अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की चयन प्रक्रिया अटक गई है. राज्यपाल की ना से सरकार के लिए  दुविधा खड़ी हो गई है. ऐसे में एक बार फिर  राज्यपाल और महाविकास अघाड़ी सरकार के बीच ठन गई है.
राज्यपाल ने नहीं दिया संशोधन को मंजूरी

कुलपति की नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन करने वाला विधेयक 28 दिसंबर 2021 को विधानमंडल में पारित हुआ था. ढाई माह बाद भी राज्यपाल ने इसे मंजूरी नहीं दी है. इसलिए नए प्रावधानों को लागू नहीं किया जा सका. पिछली कुलपति चयन प्रक्रिया के अनुसार, राज्यपाल को खोज समिति द्वारा सुझाए गए पांच नामों में से एक का चयन करने का अधिकार था. अब यह नाम राज्य सरकार के पास आएंगे और सरकार द्वारा सुझाए गए 30 दिनों की अवधि के भीतर दोनों में से एक को नियुक्त करने के लिए कानून में संशोधन किया गया है. यदि राज्यपाल द्वारा दोनों नामों को अस्वीकार कर दिया जाता है, तो समिति द्वारा प्रस्तुत नामों में से दो और नाम राज्य सरकार को भेजने होंगे. इसके अलावा, उच्च और तकनीकी शिक्षा मंत्री विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति होंगे. कुलाधिपति की सहमति से वह विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता कर सकेंगे. हालांकि अभी राज्यपाल की ओर से इसकी मंजूरी नहीं मिली है.

विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का चयन मुश्किल
पुणे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. नितिन करमलकर का पांच साल का कार्यकाल 17 मई 2022 को खत्म हो रहा है. राज्यपाल ने सर्च कमेटी को नाम भेजने के निर्देश दिए हैं. मुंबई यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डॉ. सुहास पेडनेकर को 28 अप्रैल, 2018 को नियुक्त किया गया था. वह 10 सितंबर 2022 को 65 साल के हो रहे हैं. रामटेक स्थित कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय के कवि कुलपति डॉ.  श्रीनिवास वरखेड़ी का पांच साल का कार्यकाल 13 दिसंबर, 2022 को समाप्त हो रहा है. यशवंतराव चव्हाण मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति ई वायुनंदन का पांच साल का कार्यकाल 8 मार्च को समाप्त हो गया. राज्यपाल ने संशोधन के बारे में कोई सवाल नहीं उठाया है और  इसे सरकार के पास भी वापस नहीं भेजा है.  अप्रूवल नहीं मिलने के कारण इन विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के चयन की प्रक्रिया नए संशोधन के अनुसार नहीं हो पा रही है. इस प्रक्रिया में कम से कम तीन से चार महीने का समय लगता है. इसलिए, यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह पहले की तरह ही आगे बढ़ना है या नहीं उलझन में फंस गई है.

सरकार, राज्यपाल के बीच नूराकुश्ती

महाराष्ट्र विश्वविद्यालय अधिनियम में संशोधन करके, राज्य सरकार ने कुलपति की नियुक्ति के लिए राज्यपाल और कुलाधिपति की शक्तियों को कम कर दिया है. इसके अलावा, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने अन्य महत्वपूर्ण परिवर्तनों के कारण अभी तक संशोधन को मंजूरी नहीं दी है. इससे मुंबई, पुणे और अन्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की चयन प्रक्रिया में बाधा आएगी और सरकार के लिए दुविधा पैदा होगी. भाजपा ने संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध किया था. इससे पहले राज्यपाल ने 12 विधायकों की नियुक्ति का प्रस्ताव विधान परिषद को वापस भेज दिया है. उन्होंने सहकारिता विधेयक भी वापस भेज दिया. राज्य सरकार और राज्यपाल के बीच पिछले कुछ महीनों से आमने-सामने आ गए है. सरकार और राज्यपाल के बीच पिछले कुछ महीनों से नूराकुश्ती चल रही है.  इस पृष्ठभूमि के खिलाफ, सरकार और राज्यपाल दोनों को एक समझौते पर पहुंचने की जरूरत बताई जा रही है.  एक सामान्य अपेक्षा है कि विधानमंडल द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल द्वारा तुरंत अनुमोदित किया जाना चाहिए और निर्णय को लंबे समय तक विलंबित नहीं किया जाना चाहिए. इसी तरह राज्यपाल से जल्द से जल्द विश्वविद्यालय कानून संशोधन को मंजूरी मिलने की उम्मीद की जा रही है.

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