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एससी / एसटी अर्जी पर मजिस्ट्रेट को कार्रवाई करने का अधिकार नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
 प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एससी/ एसटी एक्ट पर बड़ा फैसला सुनाया है  हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एससी/एसटी अधिनियम की धारा 156 (3) के तहत मिली अर्जी पर मजिस्ट्रेट को कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है. कोर्ट ने कहा कि धारा 14 (1) के तहत ही विशेष अदालत को कार्रवाई करने का है अधिकार प्राप्त है.
हाईकोर्ट ने कहा कि विशेष अदालत को भी नियम 5 (1) के तहत शिकायत को शिकायत प्रकरण मानकर सुनवाई करने का अधिकार नहीं है.  हाईकोर्ट  ने ऐसे मामले जिनमें मजिस्ट्रेट या विशेष अदालत ने इस्तगासा मानकर कार्रवाई की थी. विधायिका के विपरीत करार देते हुए रद्द कर दिया है.
कोर्ट ने शिकायतकर्ता से कहा कि वे संबंधित एसएचओ से शिकायत कर एफआईआर दर्ज कराएं.
कोर्ट ने कहा कि इसके लिए जिले के एसपी से भी शिकायत की जा सकती है.
कोर्ट ने  अपने आदेश में कहा कि विशेष अदालतों को भी सीधे आपराधिक केस कायम कर कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है,. न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने सोनभद्र की सोनी देवी सहित विभिन्न जिलों की छह याचिकाओं को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया.
 याची का कहना था कि मजिस्ट्रेट को शिकायतकर्ता एससी – एसटी की अर्जी पर कंप्लेंट केस दर्ज कर सम्मन जारी करने का अधिकार नहीं है. याची ने उन पर दर्ज मामले को असंवैधानिक बताने हुए प्रकरण को खारिज करने की मांग की थी. याचियों पर अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मारपीट,झगड़ा करने और उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करने का है आरोप लगाया गया था.
 शिकायतकर्ता की एफआईआर नहीं दर्ज किये जाने पर उन्होंने मजिस्ट्रेट की अदालत में आवेदन दिया था. आवेदन पर आपराधिक केस कायम करके कार्रवाई की गई थी. याची ने इस प्रकरण को असंवैधानिक बताने हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर किया था. मामले की सुनवाई के समय कोर्ट ने कहा कि विशेष कानून के कारण दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 190 के मजिस्ट्रेट को मिले अधिकार अपने आप हो समाप्त हो जाएगा.  इस पर विशेष कानून के उपबंध लागू होंगे.

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