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14 स्मशान भूमि में दाह संस्कार के लिए लकड़ी की जगह ‘ईंट बायोमास’

ब्रिकेट्स बायोमास' 'कृषि और वृक्ष कचरे से होता है तैयार

हर साल लगती है 18 लाख 60 हजार किलो लकड़ी
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई के स्मशान भूमि में शवों को जलाने के लिए हर लाखों किलो लकड़ी का उपयोग किया जाता है. हजारों पेड़ काट दिए जाते हैं. अब दाह संस्कार के लिए  कृषि/वृक्षों की बेकार लकड़ी से बने ब्रिकेट्स बायोमास (Bmc use Brikets biomass) का उपयोग किया जाएगा. ब्रिकट्स लकड़ी की अपेक्षाकृत अधिक पर्यावरण के अनुकूल पाया गया है. एक शव को जलाने के लिए, बीएमसी द्वारा 300 किलोग्राम लकड़ी मुफ्त प्रदान की जाती है.यह 300 किलो की लकड़ी आमतौर पर 2 पेड़ों से प्राप्त होती है.
बीएमसी ने अपने 14 पारंपरिक स्मशान भूमि में पर्यावरण की रक्षा के हिस्से के रूप में लकड़ी के बजाय ‘ब्रिकेट्स बायोमास’ का उपयोग करने का निर्णय लिया है. दुखद मौत के बाद मानव लाशों का अंतिम संस्कार करने के लिए बीएमसी द्वारा श्मशान सुविधा मुफ्त प्रदान की जाती है, जिसे जीवन का अंतिम सत्य माना जाता है. इनमें पारंपरिक श्मशानों में इलेक्ट्रिक स्मशान भूमि के अलावा पीएनजी आधारित स्मशान भूमि में शवों का दाह-संस्कार किया जाता है. बीएमसी ने अब 14 पारंपरिक स्मशान भूमि में लकड़ी की जगह ब्रिकेट्स बायोमास का इस्तेमाल करने का फैसला किया है.
ऐसे बनता है ब्रिकेट्स बायोमास
 ब्रिकेट्स बायोमास ‘एग्रो / ट्री वेस्ट वुड’ से प्राप्त ईंधन है,  बायोमास के ब्रिकेट एक तिहाई कचरे से बनाए जाते हैं जिन्हें फेंक दिया जाता है. इस कचरे का बेहतर उपयोग करने के साथ-साथ पर्यावरण की रक्षा भी हो सकेगी.
 बीएमसी के 14 स्मशान भूमि में जहां पहले चरण में लकड़ी की जगह ब्रिकेट्स बायोमास का इस्तेमाल किया जाना है, इन 14 स्मशान भूमि में हर साल करीब 6,200 शवों का अंतिम संस्कार किया जाता है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस स्थान पर वर्ष भर लगभग 18 लाख 60 हजार किलोग्राम लकड़ी का उपयोग दाह संस्कार के लिए होता है. प्रत्येक शव के लिए जहां 300 किलो लकड़ी लगती है वहां  250 किलोग्राम ब्रिकेट्स बायोमास पर्याप्त होगा.
ब्रिकेट्स बायोमास द्वारा उत्पन्न दहन गर्मी लकड़ी की तुलना में अधिक होती है.
इन स्मशान भूमि में होगा इस्तेमाल
लकड़ी के बजाय ‘ईट बायोमास’ के उपयोग के लिए चुने गए 14 स्मशान भूमि में ‘डी विभाग में मंगलवाड़ी ‘ई’ विभाग में वैकुंठधाम हिंदू स्मशान भूमि ‘एफ नॉर्थ’  में गोयारी हिंदू स्मशान भूमि ‘जे नॉर्थ’ में धारावी हिंदू स्मशान भूमि शामिल हैं. ‘एच वेस्ट’ विभाग में खरदंडा, ‘के वेस्ट’ में वर्सोवा, ‘पी नॉर्थ’ में मढ़, ‘आर साउथ’ में वदरपाड़ा , ‘आर नॉर्थ’ में दहिसर,’एल’ विभाग में चूनाभट्टी, ‘एम ईस्ट’ में चीता कैंप , ‘एम वेस्ट’  में अनिक गांव , ‘एस’  में भांडुप गुजराती सेवामंडल और टी विभाग मुलुंड में नागरिक सभा हिंदू स्मशान भूमि में उपयोग किया जाएगा. मंगला गोमारे ने बताया जल्द ही टेंडर प्रक्रिया शुरु की जाएगी

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