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कोरोना के बाद मंकी पॉक्स ने बढ़ाई चिंता

दुनिया में फैल रहा यह वायरस

बीएमसी ने बनाए स्पेशल वार्ड 

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई.  देश में एक बार फिर कोरोना  (COVID 19) केस में हो रही वृद्धि के बीच दुनिया भर में मंकीपॉक्स (Monkey Pox) वायरस के संक्रमण से दहशत फैल गई है. इस वायरस के मरीजों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ने से विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एडवाइजरी जारी की है.
 विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 11 देशों में मंकीपॉक्स के 80 मामले पाये जाने की पुष्टि की है. इसी पृष्ठभूमि में मंकी पैक्स के खतरे को देखते हुए मुंबई महानगरपालिका ने भी महत्वपूर्ण कदम उठाने शुरू कर दिए हैं.
मुंबई महानगरपालिका ने  मुंबई के सभी स्वास्थ्य केंद्रों के अस्पतालों से अलग वार्ड बनाया गया है.  एक वार्ड जिसमें 28 बेड हैं मंकी पॉक्स के लिए रिजर्व किया गया है. अस्पतालों को सूचित किया गया है कि मंकी पॉक्स जैसे संदिग्ध मामले की सूचना कस्तूरबा अस्पताल को दी जानी चाहिए.
आखिर  मंकी पॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स एक वायरस है. इसका संबंध चेचक वायरस परिवार से है. इसके संक्रमित होने वाले व्यक्ति को बुखार और शरीर पर  चेचक की तरह से उबड़-खाबड़ बड़े दाने पड़ जाते हैं. इस वायरस के दो मुख्य उपभेद हैं, जिन्हें आमतौर पर हल्का माना जाता है. पहला कांगो स्ट्रेन है और दूसरा वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन है. इनमें से कांगो स्ट्रेन सबसे गंभीर है. इस स्ट्रेन में मृत्यु दर 10% तक रहती है. तो, पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन में मृत्यु दर लगभग 1 प्रतिशत रहती है. ब्रिटेन में मिले मरीज वेस्ट अफ्रीकन स्ट्रेन के हैं. संक्रमण होने के बाद इसके लक्षणों की शुरुआत तक की अवधि  7 से 14 दिनों की होती है.
बहुत असामान्य बीमारी
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि अफ्रीकी महाद्वीप के बाहर बहुत कम मामले सामने आए हैं. अभी तक ऐसे वायरस आठ बार ही सामने आए हैं. लेकिन यह बहुत ही असामान्य बात है, “लंदन स्कूल ऑफ हाइजीन एंड ट्रॉपिकल मेडिसिन में अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य के प्रोफेसर जिमी व्हिटवर्थ ने रायटर्स को बताया है. यह मंकीपॉक्स वायरस के संक्रमण के कारण होता है.
संक्रमित लोगों में फ्लू के लक्षण दिखाई देते हैं. ज्यादातर लोग कुछ हफ्तों में ठीक हो जाते हैं. हालांकि, अगर स्थिति बिगड़ती है, तो निमोनिया विकसित हो सकता है. सरल भाषा में कहें तो मंकी पॉक्स जिसे पहले बड़ी माता कहा जाता था कुछ उसके जैसा ही है. पूरे शरीर में छाले पड़ जाते हैं. यहां तक की हथेली में, पैर के तलवे में भी बड़े-बड़े छाले उभर आते हैं. जिससे मरीज की तबीयत बिगड़ जाती हैं.

 

 

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