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शिवसेना विभाजन की सुनवाई तेज, हाईकोर्ट और चुनाव आयोग में फैसला

किसकी शिवसेना,किसे मिलेगा धनुष बाण फैसले पर लगी निगाहें

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

मुंबई. शिवसेना (ShivSena) के विभाजन के बाद से ही उद्धव और शिंदे गुट के बीच चल रही लड़ाई अब अपने अंतिम मुकाम पर आ गई है. (Shiv Sena split hearing intensified, decision in High Court and Election Commission)   मुंबई मनपा सीटों में बदलाव किए जाने वाली याचिका की आज हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है वहीं चुनाव आयोग भी आज शिवसेना किसकी इस पर सुनवाई करेगा. पार्टी और चुनाव चिन्ह किसे मिलेगा इस पर पूरे महाराष्ट्र नजरें लगी हुई हैं.

बांबे हाई कोर्ट में शिवसेना के पूर्व नगरसेवक राजू पेडणेकर की याचिका पर सुनवाई चल रही है. पेडणेकर ने बीएमसी की सीटों की संख्या 236 से घटा कर 227 करने वाले राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी है. मंगलवार इस मामले पर सुनवाई अधूरी रहने के कारण आज फिर मामले पर दोनों गुट अपना पक्ष रखेंगे उसके बाद हाईकोर्ट का फैसला आने वाला है.

इसी तरह चुनाव आयोग में शाम 4 बजे शिवसेना किसकी इस पर फैसला होगा. दोनों गुटों ने खुद को असली शिवसेना साबित करने के लिए चुनाव आयोग में दस्तावेज जमा कराए हैं. शिंदे गुट ने शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे के पार्टी प्रमुख होने पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया है. उद्धव ठाकरे शिवसेना अध्यक्ष रहेंगे कि नहीं इस पर भी सुनवाई होगी. शिवसेना ने चुनाव आयोग से प्रतिनिधियों की सभा लेने की अनुमति मांगी है इस पर भी निर्णय लिया जा सकता है.

चुनाव आयोग के समक्ष आज होने वाली सुनवाई में  शिवसेना का चुनाव चिन्ह धनुष बाण पर भी फैसला आ सकता है. शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट से मां की थी कि जब तक विधायकों की पात्रता का निर्णय नहीं हो जाता चुनाव आयोग को शिवसेना पार्टी का फैसला करने से रोकें. जबकि शिंदे गुट के वकील महेश जेठमलानी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक किसी को अपात्र घोषित नहीं किया है इसलिए चुनाव चिन्ह पर निर्णय लेने में कोई दिक्कत नहीं है.

इस तरह है संख्या बल

शिवसेना शिंदे गुट के पास 55 में से 40 विधायक और लोकसभा के 18 में से 12 सांसद हैं. वहीं ठाकरे गुट के पास 15 विधायक और 6 लोकसभा सांसद हैं. राज्य सभा के 2 सांसद और विधान परिषद के सदस्य उद्धव गुट के साथ हैं. इसके अलावा पार्टी के लाखों प्राथमिक सदस्य, जिलाध्यक्ष आदि की संख्या पर भी चुनाव आयोग का निर्णय अपेक्षित रहेगा.

 

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