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मथुरा, ज्ञानवापी के बाद अब कुतुब मीनार

पूजा के अधिकार को लेकर साकेत कोर्ट में सुनवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क

दिल्ली. मथुरा में भगवान श्री कृष्ण जन्मभूमि, ज्ञानवापी वाराणसी में विशेश्वर महादेव मंदिर को लेकर कोर्ट में मामले चल रहे थे, अब इस कड़ी में दिल्ली का क़ुतुब मीनार  (Qutub minar) भी जुड़ गया है. कुतुबमीनार में पूजा का अधिकार पाने के दिल्ली के साकेत कोर्ट ( Sakte court) में याचिका दायर की गई है जिस पर आज सुनवाई चल रही है.

हिंदू पक्ष की गई तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि उन्हें कुतुब मीनार पर पूजा का अधिकार मिलना चाहिए क्योंकि 27 हिंदू और जैन मंदिरों को तोड़कर कुतुब मीनार का निर्माण किया गया है. हिंदू पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरीश जैन अपनी दलील दे रहे थे. जैन ने कहा कि यदि हिंदू मंदिर से मूर्तियों को हटा भी दिया जाता है तब भी वह मंदिर ही रहता है. जैन की दलील पर जज ने कहा कि पिछले 800 साल से वहां मूर्तियों की पूजा नहीं हो रही है.  उन्हें उसी स्थिति में क्यों न रखा जाए. इस पर हरीश जैन ने कहा कि हम भी वहां पर किसी तरह के निर्माण के पक्ष में नहीं हैं लेकिन पूजा मूलभूत अधिकार है जो मिलना चाहिए. हरीश जैन ने कहा कि जज साहब चाहें तो मौका मुआयना कर सकते हैं.

हिंदू पक्ष की तरफ से दावा किया गया कि वास्तव में कुतुब मीनार बिष्णु स्तंभ है. कुतुबमीनार पर चल रहे विवाद के बीच एएसआई ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. एएसआई ने कहा कि यह संरक्षित स्थान है यहां न तो पूजा की जा सकती है और न ही नमाज पढ़ी जा सकती है.

कोर्ट को सौंपे अपनी रिपोर्ट में एएसआई ने कहा कि कुतुब मीनार 1934 से ही संरक्षित स्तंभ है. इस स्तंभ की संरचना को नहीं बदला जा सकता. एएसआई के पूर्व रिजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया था कि विक्रमादित्य ने सूर्य की दिशा तय करने के लिए इस विष्णु स्तंभ का निर्माण कराया था.  कुतुबुद्दीन एबक के राज में इसका नाम बदलकर  कुतुब मीनार रख दिया गया था.

ट्रस्टी ने की स्वामी से मुलाकात

ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला अदालत आज अपना निर्णय सुनाएगी. इससे पहले मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष महेन्द्र प्रताप वकीलों के साथ बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी से मुलाकात कर उनसे कानूनी सहायता देने की मांग की है. स्वामी से ट्वीट कर जानकारी दी कि वे वकीलों को कानूनी सहायता देंगे.

 

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