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निर्दलीयों के पास 10वें उम्मीदवार की जीत की चाबी
सत्ता पक्ष या विपक्ष, किसे मिलेगी मात

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Vidhan Parishad Election: मुंबई. राज्यसभा चुनाव में तीसरा उम्मीदवार जिता कर चमत्कार करने वाली भाजपा के पास चार उम्मीदवारों को जिताने की क्षमता है लेकिन उसने पांच उम्मीदवारों को खड़ा कर परिषद चुनाव में भी वही चमत्कार दोहराने की उम्मीद पाले हुए है, लेकिन सत्ताधारी की तरफ से लगाए गए चक्रव्यूह को वह भेद पाता है, इस चुनाव में (Independents have the key to the victory of the 10th candidate) दसवें उम्मीदवार के जीत की चाभी भी निर्दलीय विधायकों के हाथ में है. यह 20 जून को मतदान के बाद पता चलेगा.
राज्य सभा चुनाव में शिवसेना उम्मीदवार की पराजय ने यह साबित कर दिया कि विपक्ष निर्दलीय मतों को बटोरने में फेल हो गई. शिवसेना ने संदेह प्रकट किया था कि राज्यसभा चुनाव में निर्दलीय विधायकों ने वोट नहीं दिया था. इससे निर्दलीय उम्मीदवार नाराज हैं. आघाड़ी के रहें या भाजपा के साथ अभु अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं.
लेकिन परिषद चुनाव में निर्दलीय विधायक गेम चेंजर साबित होंगे.
महाविकास गठबंधन का नेतृत्व करने वाले तीनों दलों से दो-दो उम्मीदवार मैदान में हैं. इसमें शिवसेना और एनसीपी दोनों के पास जीतने के लिए पर्याप्त संख्या है. हालांकि, कांग्रेस को अपना दूसरा उम्मीदवार जीतने के लिए करीब दस निर्दलीय विधायकों के वोटों का जुगाड करना होगा. महाविकास आघाड़ी ने विधानसभा चुनाव में दूसरे कांग्रेस उम्मीदवार को जीतने के लिए आवश्यक वोटों का आंकड़ा बैठाया है. कांग्रेस नेता व मंत्री बाला साहेब थोरात भरोसा जताया कि उनके दोनों उम्मीदवार जीतेंगे.
शिवसेना सांसद संजय राउत ने राज्यसभा चुनाव में राज्य सरकार के साथ रहे छह निर्दलीय विधायकों पर शिवसेना को वोट नहीं देने का आरोप लगाया था. निर्दलीय विधायक देवेंद्र भुयार, संजय शिंदे, श्यामसुंदर शिंदे और बहुजन विकास आघाड़ी के हितेंद्र ठाकुर और पार्टी के दो अन्य विधायकों पर मतदान से परहेज करने का आरोप लगाया गया था. इससे पता चलता है कि महाविकास आघाड़ी से निर्दलीय विधायक नाराज हैं. देवेंद्र भुयार ने शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार और संजय राउत से भी मुलाकात की और नाराजगी जताई. अन्य विधायकों ने भी मीडिया के माध्यम से मविआ पर नाराजगी जताई है. इसलिए, कांग्रेस को अपना दूसरा उम्मीदवार चुनने के लिए निर्दलीय और छोटे समूह के विधायकों के वोटों को पाने के मनाने का प्रयास कर रही है. ऐसे में कांग्रेस के साथ शिवसेना और एनसीपी को निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल करने के लिए पूरा जोर लगाना होगा.
इस चुनाव में दिखाकर मतदान नहीं किए जा सकते इसलिए कौन किसे वोट दिया यह पता लगाना मुश्किल होता है. इससे भाजपा की राह आसान हो सकती है
सत्तारूढ़ महाविकास आघाड़ी व छोटे दलों को मिला कर कुल – 171 वोट हैं. वही भाजपा के साथ छोटे दल और कुछ निर्दलीय के साथ संख्या 114 वोट हैं. सभी पार्टियां अपने विधायकों के साथ होटल में ठहरे हुए हैं.




