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शिवसेना के हाथ से मनपा की सत्ता भी जाएगी!

विधायकों के बाद अब पूर्व नगरसेवकों में खलबली

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
ShivSena Crisis मुंबई.  शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना 38 विधायकों को खोने के सदमे से अभी उबरी भी नहीं थी कि उसके सामने मुंबई के नगरसेवकों को विरोधी खेमे में जाने की चुनौती से (The power of Bmc will also go from the hands of Shiv Sena) जूझ रही है. खबर है कि शिवसेना के 97 पूर्व नगरसेवकों में से 25 शिंदे के साथ जा सकते हैं. उधर भाजपा ने अपने पत्ते खोलते हुए कहा है कि शिंदे गुट ही असली शिवसेना है. इस बयान के बाद शिवसेना नगरसेवकों में खलबली मच गई है.
ऐसे टूट सकते हैं नगरसेवक 
मुंबई से  शिवसेना के चार विधायक प्रकाश सुर्वे, यामिनी जाधव, सदा सरवणकर और दिलीप लांडे शिवसेना मंत्री एकनाथ शिंदे के विद्रोह में शामिल हो गए हैं. शिवसेना के 20 से 25 पूर्व नगरसेवक इन विधायकों के संपर्क में हैं. जिनके टूटने की संभावना व्यक्त की जा रही है. इस संबंध में विधायक सदा सरवणकर के पुत्र और पूर्व नगरसेवक समाधान सरवणकर हैं. विधायक यामिनी जाधव के पति शिवसेना के उपनेता और  यशवंत जाधव मनपा के पूर्व स्थायी समिति के  अध्यक्ष रह चुके हैं. फिलहाल वे आयकर और ईडी के चक्कर में फंसे हुए हैं. विधायक दिलीप लांडे ही मनसे के 6 नगरसेवकों को तोड़ कर शिवसेना में लाए थे. अब वे शिंदे गुट के साथ हैं.
भाजपा के पास वाशिंग मशीन 
सरकार का फैसला होते ही पूर्व नगरसेवकों के विभाजित हो जाने की चर्चा गर्म है. मातोश्री के करीबी किशोरी पेडणेकर और जाधव के बीच मनमुटाव जग जाहिर है. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास वाशिंग मशीन है जहां जाते ही बड़ा से बड़ा भ्रष्टाचारी कपड़े की तरह धुल कर चमकदार बन जाता है. भाजपा को छोड़कर सभी कह रहे हैं कि हम एक अच्छे मुख्यमंत्री को खो रहे हैं. ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स ने डर का माहौल बना दिया है और लोग उनके बारे में सोच रहे हैं.
  25 साल से मनपा में शिवसेना की सत्ता
मुंबई मनपा में शिवसेना 25 साल से अधिक समय से सत्ता में है. 2017 के चुनावों में शिवसेना 84 और भाजपा के  82 नगरसेवक चुने गए थे. शिवसेना ने मनसे के 7 में से 6 नगरसेवकों को तोड़ कर महापौर पद हथिया लिया था. निर्दलीय नगरसेवकों को शिवसेना नगरसेवकों की संख्या 97 हो गई थी. मनपा का कार्यकाल 7 मार्च, 2022 को समाप्त होने के कारण आयुक्त को ही मनपा का प्रशासक नियुक्त किया गया है. शिवसेना अब अपने पूर्व नगरसेवकों को विरोधी खेमें में जाने से रोकने में लगी है.

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