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विधानसभा उपाध्यक्ष के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर कैसे जज बन गए

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
ShivSena Crisis: दिल्ली. महाराष्ट्र विधानसभा उपाध्यक्ष नरहरी झिरवाल द्वारा शिवसेना के बागी 16 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए नोटिस भेजे जाने पर आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court’s)ने बहुत ही सख्त टिप्पणी ( Strict remarks against the Deputy Speaker of the Assembly) की है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब शिंदे गुट के विधायकों ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए नोटिस भेजा था तो किस आधार पर उन्हें नोटिस दिए. जस्टिस सूर्यकांत ने सवाल किया कि अपने खिलाफ दायर अर्जी पर कैसे डिप्टी स्पीकर खुद ही जज बन गए. इस पर डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन ने कहा कि उनके खिलाफ जो नोटिस आया था, वह असत्यापित ईमेल से भेजा गया था.
पांच दिन में एफीडेविट दाखिल करने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में डिप्टी स्पीकर को एफीडेविट दाखिल करने का आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने डिप्टी स्पीकर की ओर से पेश वकील राजीव धवन से सवाल किया कि यदि विधायकों की ओर से नोटिस मिला था तो फिर उसे खारिज क्यों किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अपने खिलाफ मामले में उन्होंने कैसे खुद ही सुनवाई की और खुद ही जज बन गए. इसके साथ ही अदालत ने डिप्टी स्पीकर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र पुलिस, शिवसेना विधायक दल के नए नेता अजय चौधरी और चीफ व्हिप बनाए गए सुनील प्रभु को भी नोटिस जारी किया है.
केंद्र से पूछा संसद के नियम क्या कहते हैं
कोर्ट ने कहा कि बागी विधायक 3 दिन में और डेप्युटी स्पीकर 5 दिन में अपना एफीडेविट सौंपेंगे. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है और पूछा है कि ऐसे मामलों में आखिर संसद के नियम क्या कहते हैं. इस मामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को गर्मी की छुट्टियों के बाद होगी. तक बागी विधायकों, परिवार, संपत्तियों की पूरी सुरक्षा के साथ विधायकों को आयोग्य करने पर कोई निर्णय नहीं लिए जाने का आदेश दिया है.