बारिश थमी लेकिन कचरे से पटे समुद्री बीच
सफाई के लिए बीएमसी नहीं आ रही आगे, अब एनजीओ का ही सहारा

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. एक कहावत है कि समुद्र कुछ भी नहीं लेता है जो उसमें फेंका जाता है उसे वापस लौटा देता है. मुंबई की मीठी नदी, नालों में फेंके गए कचरे वापस लौट आए हैं. मुंबई के सभी समुद्री बीच कचरों (The rain stopped but the sea beach filled with garbage)से पटे पड़े हैं. जिनकी सफाई के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है.
बरसात थमने के बाद उम्मीद थी कि बीएमसी बीचों की सफाई पर ध्यान देगी लेकिन किसी भी बीच पर बीएमसी के सफाई कर्मचारी नजर नहीं आए. बीएमसी ने हमेशा बीचों को साफ सुथरा रखने के लिए पिछले साल ठेकेदारों की नियुक्ति की थी.बीएमसी ने एच / पश्चिम (खार-सांताक्रूज) प्रभाग में चिंबई और वारिंगपाड़ा समुद्र तटों की स्वच्छता बनाए रखने के लिए मेसर्स राम इंजीनियरिंग एंड कंस्ट्रक्शन कंपनी को दो साल के लिए अनुबंध दिया था. कंपनी मैनपावर और डंपरों का उपयोग करके सफाई करना था. इसके लिए ठेकेदार को दो साल के लिए 13,899 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से 1.05 करोड़ रुपये का शुल्क देना तय किया गया था.
इसी तरह का कार्य मढ़ और मार्वे के किनारों की सफाई के लिए रक्षित इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट प्रा. लिमिटेड नामक ठेकेदार को 6 साल के लिए अनुबंध कार्य दिया गया है. वहां भी समुद्री किनारों की सफाई मशीन का उपयोग करके किया जाना है जिसके लिए एक वर्ष के लिए 39,636 रुपये प्रति दिन, तथा दूसरे वर्ष के लिए 41,617 रुपये, तीसरे वर्ष के लिए 43,599 रुपये, चौथे वर्ष के लिए 43,581 रुपये, पांचवें वर्ष के लिए 47,563 रुपये और छठे वर्ष के लिए सीधे 49,563 रुपये प्रतिदिन शुल्क दिया जा रहा है. सफाई के नाम पर करोड़ों रुपए लेकर ठेकेदार भी गायब हैं.
एनजीओ के भरोसे सफाई
मुंबईकरों का पैसा ठेकेदारों पर लुटाने वाली बीएमसी समुद्री तटों की सफाई से मुंह मोड़ रखा है. गणेशोत्सव में जमा कचरे की सफाई के अलावा कोई सामाजिक संगठन हैं जो हमेशा समुद्री तटों की सफाई में जुटे रहते हैं. इसमें सायना एनसी की संस्था नाना साहब धर्माधिकारी भी तटो की सफाई करती है माऊली मित्र मंडल के सदस्य,युनाईटेड वे मुंबई एनजीओ के सदस्य भी सफाई अभियान चलाते रहते हैं. अब लगता है कि तटों की सफाई एनजीओ के लिए छोड़ दिया गया है.