चौथी मंजिल से चलती आटो पर गिरा लोहे का खंभा, महिला उसकी बेटी की मौत
दुर्घटना के समय वर्ली हादसे पर हाईकोर्ट में चल रही थी सुनवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
Accident मुंबई. मुंबई के जोगेश्वरी इलाके में एक अजीबोगरीब हादसा हुआ है. निर्माणाधीन इमारत से लोहे का खंभा सड़क पर चलते आटो रिक्शा पर गिरने से महिला और उसकी बेटी दोनों की मौत हो गई. (An iron pole fell on an auto moving from the fourth floor, the woman and her daughter died)
मिली जानकारी के अनुसार घटना जोगेश्वरी ईस्ट में वेस्टर्न एक्सप्रेस वे के साथ सोनार चाल इलाके में हुई. निर्माणाधीन भवन की चौथी मंजिल से लोहे का खंभा चलते रिक्शा पर गिर गया. मां,बेटी जो इस रिक्शा में यात्रा कर रही थी, एक गंभीर दुर्घटना का शिकार हो गई. लेकिन दुर्भाग्य से इस हादसे में मां की मौके पर ही मौत हो गई और बेटी गंभीर रूप से घायल हो गई.
गंभीर रूप से घायल महिला शमा बानो आसिफ शेख (28)और बच्ची आयत आसिफ शेख (9) को पास के शल्यक ट्रामा केयर अस्पताल में भर्ती कराया. जहां महिला को मृत घोषित कर दिया गया. बेटी को वहां से कोकिलाबेन अस्पताल ले जाया गया जहां कुछ देर बाद उसकी भी मौत हो गई. पुलिस ने इस मामले में मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है. इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की जा रही है.
वर्ली दुर्घटना पर हाईकोर्ट में चल रही थी सुनवाई
यह अप्रत्याशित दुर्घटना शनिवार को हुई जिस दिन वर्ली के हाईराईज इमारत फोर सीजन से सीमेंट ब्लॉक्स गिरने से दो लोगों की मौत का हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही थी. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मुंबई में अंधाधुंध चल रहे इमारतों के निर्माण और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए थे.
हाई कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को मृत्यु या चोट के डर के बिना स्वतंत्र रूप से जीने का अधिकार है. वर्ली के फोर सीजन हाईराइज इमारत के 52वे फ्लोर से सीमेंट गिरने से हुई दुर्घटना पर हाईकोर्ट ने शहर में ऊंची इमारतों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली विशालकाय क्रेनों के संबंध में सुरक्षा उपायों के लिए बीएमसी को दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया.
हादसा दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक
हाईकोर्ट के जस्टिस गिरीश कुलकर्णी और आर एन लड्ढ़ा की बेंच ने कहा कि समय आ गया है कि बीएमसी प्रशासन निर्माणाधीन भवनों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक उपायों पर विशेष ध्यान दे. 14 फरवरी को हुई दुर्घटना दुर्भाग्यपूर्ण और दर्दनाक थी. ऐसी घटनाओं से निर्दोष लोगों की जान जाने की घटनाओं को प्रोत्साहन नहीं मिलना चाहिए. कोर्ट ने यह उम्मीद भी जताई कि मुंबई जैसे शहरों में इस तरह की घटनाएं नहीं होनी चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि दुर्घटना का सामना करना, भले ही वह निर्माण स्थल न हो, राज्य के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत लोगों को भयमुक्त जीवन जीने के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है.
कोर्ट ने हैरानी जताई
हाईकोर्ट ने इस दुर्घटना पर हैरानी जताते हुए कहा कि क्या कोई ऐसी संस्था है जो निर्माण स्थलों पर भारी और विशाल क्रेनों के उपयोग का अनुमोदन, परीक्षण और प्रमाणीकरण करती है ? कोर्ट ने भी इसलिए ऐसे निर्माणों में कौन से सुरक्षा या एहतियाती उपाय लागू किए जा सकते हैं? ताकि निर्माणाधीन भवन के बाहर, आसपास के क्षेत्र में या सार्वजनिक सड़क पर रहने वालों पर इसका प्रभाव न पड़े. अदालत ने यह भी कहा कि यह एक महत्वपूर्ण पहलू है और इस पर विचार करने की आवश्यकता है और बीएमसी आयुक्त को इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर दो महीने के भीतर सुरक्षा उपायों और उच्च वृद्धि वाले निर्माणों में क्रेन के उपयोग से संबंधित मुद्दों पर उचित दिशा-निर्देश जारी करने का आदेश दिया. साथ ही राज्य सरकार के नगर विकास विभाग को नगर पालिका द्वारा दिशा-निर्देश जारी करने के बाद नगर पालिका के ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर उचित दिशा-निर्देश जारी करने में पूरी तत्परता दिखानी चाहिए.
समिति के गठन का आदेश
याचिकाकर्ताओं द्वारा याचिका में उठाए गए प्रोजेक्ट के निर्माण की निगरानी के लिए सिविल इंजीनियर ( स्ट्रक्चरल इंजीनियर), आर्किटेक्ट, तकनीकी अभियंता पीठ ने उन्हें शामिल करते हुए एक समिति के गठन का भी आदेश दिया है.




