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शिवसेना किसकी? फैसला आज, उद्धव बोले न्याय के देवता पर पूरा विश्वास

सुप्रीम कोर्ट में होगी सुनवाई ,किसे मिलेगा चुनाव चिन्ह

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद दोनों समूहों के बीच असली नकली शिवसेना को लेकर विवाद चल रहा है. यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है. (Whose Shiv Sena? Suprime Court Will Decide today Uddhav said full faith in the God of justice)
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय चुनाव आयोग को पहले ही कह दिया है कि शिवसेना किसकी है? चुनाव चिन्ह धनुष-बाण किसका है?, विधायकों की अयोग्यता, शिंदे-फडणवीस सरकार का क्या होगा?, क्या मामला सुप्रीम कोर्ट में ही हल होगा संवैधानिक न्यायालय में जाएगा?
सोमवार को फैसला आने से पहले रविवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. फैसला क्या होगा इससे बेपरवाह उद्धव ठाकरे ने कहा कि जो होगा देखा जायेगा. हमें न्याय के मंदिर पर पूरा भरोसा है. उद्धव ठाकरे ने कहा कि इन सभी मामलों में जनता का भरोसा भी हमारे साथ है.
   उद्धव ठाकरे के हाथों विधान परिषद उपसभापति नीलम गोरहे के कार्यों की मातोश्री पर रिपोर्ट जारी की गई. इस मौके पर उद्धव ठाकरे शिवसैनिकों से बातचीत कर रहे थे. उद्धव ठाकरे ने कहा कि लोग चुनाव का इंतजार कर रहे हैं कि कब चुनाव आए और इन देशद्रोहियों को सबक सिखाएं. ठाकरे ने एकनाथ शिंदे समूह को चेतावनी दी कि उनमें जल्दी चुनाव कराने की हिम्मत नहीं है. उद्धव ठाकरे ने राज्य में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार पर भी उंगली उठाई. उन्होंने कहा कि भंडारा जिले में सामूहिक दुष्कर्म की घटना निंदनीय है और न्याय मिलने तक शिवसेना चुप नहीं रहेगी. उद्धव ठाकरे ने सत्ताधारी दल को चेतावनी दी है कि इन मामलों में किसी भी जाति-धर्म को लाए बिना निष्पक्ष कार्रवाई की जानी चाहिए.
  गौरतलब हो कि मानसून सत्र की शुरुआत में ही बागी विधायकों को विपक्ष जम कर घेरा. बागी विधायकों के देखते ही 50 खोखा, एकदम ओके का नारे लगे, ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा कि ‘वहां सिर्फ निष्ठा के खोखे आ रहे हैं.
 गोरहे के कार्य रिपोर्ट का विमोचन 
  सत्र के दौरान नीलम गोरहे ने मंत्री गुलाबराव पाटिल को विधान परिषद में बैठकर बात करने पर फटकार लगाई. उद्धव ठाकरे ने इस संबंध में उपसभापति नीलम गोरहा को भी बधाई दी है. ठाकरे ने कहा कि सदन की पवित्रता बनाए रखी जानी चाहिए. उद्धव ठाकरे ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री भी सदन के नियमों का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें भी फटकार भी लगाई जानी चाहिए. नीलम गोरहे की किताब में शिवसेना से किस तरह जुड़ीं इसका विवरण है. उद्धव ठाकरे ने यह भी याद दिलाया कि कैसे नीलम गोरहे ने शिवसेना के विचारों को स्वीकार किया, भले ही वह शिवसेना की नहीं थीं.
 

 

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