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घोटाले की भेंट चढ़ गई समुद्री सुरक्षा,महफूज नहीं मुंबई के नागरिक

स्पीड बोट के खराब इंजन से कैसे होगी मुंबई की सुरक्षा

नये इंजन को बेच, भंगार इंजन लगा दिए
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. मुंबई में 26/11 पार्ट 2 करने की धमकी मिलने के बाद मुंबई पुलिस धमकी देने वालों की सरगर्मी से तलाश कर रही है.(Maritime security has been lost due to scam) अभी हाल ही में रायगड जिले में बोट में AK -47 और कारतूस मिलने के बाद सवाल उठाए जा रहे हैं कि तीन लेयर की समुद्री सीमा को तोड़ते हुए हथियारों से लदी बोट किनारे पर आ गई और सुरक्षा एजेंसियों को इसकी भनक तक नहीं लगी.
  पहले जानें  कैसे होती है मुंबई की सुरक्षा
 मुंबई में 26/11हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करने का निर्णय लिया गया था. मुंबई पुलिस को समुद्र के भीतर पांच किमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इसके लिए पुलिस को अत्याधुनिक स्पीड बोट के साथ हथियार भी उपलब्ध कराए गए थे. उससे आगे 5 से 15 किमी भीतर सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय तटरक्षक बल को दी गई थी. जबकि उससे आगे गहरी समुद्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय नौसेना के पास थी. तीन एजेंसियों की आंख के नीचे एक लावारिस बोट किनारे पर आ गई और इन तीनों में से किसी को भनक तक नहीं लगी.
अब आते हैं बोट घोटाले पर 
मुंबई में 26/11 आतंकवादी हमले के बाद समुद्री सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए केंद्र सरकार की सहायता से मुंबई और आस पास के जिलों की पुलिस को स्पीड बोट सौंपी गई थी. कुछ समय तक बोट ठीक थी और इनसे समुद्र की गस्त भी की जा रही थी. अचानक बोट खराब होने लगी. इसका सामान निकाल कर दूसरे में लगाया जाने लगा जिससे बोटें खराब हैं यह साबित किया जा सके.
 पुलिस को सौंपी गई इन बोट की मरम्मत और रखरखाव की जिम्मेदारी के लिए ठेकेदार की नियुक्ति की गई थी. वर्ष 2018 में नये ठेकेदार की नियुक्ति होने के बाद नये ठेकेदार ने इंजन में खराबी की सूचना पुलिस विभाग को दिए जाने के बाद घोटाले की जानकारी सामने आई. पता चल कि बोट के साथ आए इंजन के बदले दूसरे इंजन लगे हैं. इस खबर के बाद पुलिस विभाग के पसीने छूट गए. चार तक मामले को दबाया जाता रहा. आखिर में राज्य सरकार ने वर्ष 2021 में मामले की जांच एंटी करप्शन ब्यूरो को सौंप दिया.तत्कालीन एसीबी के अतिरिक्त महानिदेशक प्रभात कुमार ने मामले की जांच कर तीन महीने में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी.
जांच में पता चला कि मुंबई की समुद्री सुरक्षा में लगी बोट के इंजन को निकाल कर उसमें दुबई पुलिस द्वारा भंगार में निकाले गए इंजन लगाए गए हैं. इस मामले में पुलिस महानिदेशक रजनीश सेठ के आदेश पर राज्य कोस्टल विभाग की सीआईडी शाखा पुलिस मोटर परिवहन अधिकारियों की जांच शुरु की गई है. इस मामले एक आईपीएस अधिकारी भी फंसे हुए हैं. आगामी समय में कई और अधिकारियों के फंसने की संभावना है. क्योंकि यह घोटाला करोड़ों का बताया जा रहा है.
   गोवा शिपयार्ड से खरीदी गई 57 बोट
राज्य सरकार ने वर्ष 2011-12 में 7.3 करोड़ की लागत से 28 स्पीड बोट खरीदे थे. बाद में मुंबई के अलावा रायगड और कोकण के समुद्री किनारों की सुरक्षा के लिए 29 और बोट खरीदे गए. कुल 57 बोट खरीदी गई थी.जांच में पता लगा कि खरीदी गई बोट से नया इंजन निकाल कर गुजरात के एक भंगार वाले को बेच दिए गए. गुजरात के किस भंगार वाले को बोटें बेची गई इसकी जांच की जा रही है.
    मिटा दिए गए इंजनों के नंबर
बोट में लगाए गए इंजन नंबरों को मिटा दिया गया है. 13 बोट के इंजन बदल कर एक दूसरे में लगा दिए गए हैं. जबकि कुछ बोट के इंजन मिटाने का प्रयास किया गया है. मुंबई पुलिस की इकोनॉमिक अफेंस विंग मामले की जांच कर रही है.
   इससे पहले अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सुनील रामानंद की शिकायत पर पुणे पुलिस ने एक्वेरियस शिपयार्ड के प्रबंध निदेशक रत्नाकर दांडेकर, गोवा शिपयार्ड, ब्रिलियंट सीगल के अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई जिसे बाद में आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दिया गया.
  कछुआ की रफ्तार से चल रही जांच 
 गोवा शिपयार्ड से कुल 57 बोट खरीदे गए थे. वर्ष 2014 से 2019 तक 29 बोट के मरम्मत एवं रख रखरखाव की जिम्मेदारी गोवा शिपयार्ड को दी गई थी.  2019 में ब्रिलियंट सीगल को यह जिम्मेदारी दी गई जिसके पास इसका कोई अनुभव नहीं था. 43 किमी नॉटिकल मील से चलने वाली बोटें केवल 10 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल रही थीं जिससे घोटाले का खुलासा हुआ. शक्तिशाली इंजन को बदल कर उसमें भंगार इंजन लगा दिए गए जिसके भरोसे समुद्र के रास्ते आने वाले आतंकवादियों का मुकाबला कैसे संभव होगा. इस घोटाले में की बड़े पुलिस अधिकारियों के शामिल होने से जांच कछुए की गति से आगे बढ़ रही है. मुंबई की सुरक्षा घोटाले की भेंट चढ़ गई है.

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