शिवसेना विवाद, सुप्रीम कोर्ट में आज से सुनवाई
पांच सदस्यीय संविधान पीठ का गठन, आज सुबह 10 बजे से सुनवाई

आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. महाराष्ट्र में शिवसेना के बीच मचे सत्ता संघर्ष की सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में आज सुबह 10 बजे से सुनवाई होगी. (Shivsena controversy, hearing in Supreme Court from today)मु ख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के वकील नीरज किशन कौल ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी. नीरज किशन कौल ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि उद्धव ठाकरे समूह चुनाव आयोग की कार्यवाही में बाधा डालने की कोशिश कर रहा है, जिसके बाद मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने बुधवार को मामले को सूचीबद्ध कर लिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान पीठ का गठन भी किया है. धनंजय चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ महाराष्ट्र मामले की सुनवाई करेगी. चुनाव आयोग की कार्यवाही पर कल सुप्रीम कोर्ट फैसला ले सकता है. उसके बाद यह स्पष्ट होगा कि यह संविधान पीठ कब से नियमित रूप से कार्य करेगी. मुख्य न्यायाधीश उदय ललित ने पांच सदस्यीय पीठ का गठन किया है. पांच सदस्यीय पीठ कल सुबह सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र की सत्ता संघर्ष याचिकाओं पर सुनवाई करेगी. हालांकि चीफ जस्टिस इस संविधान पीठ का हिस्सा नहीं होंगे.
पांच जजों की बेंच में कौन शामिल है?
1. जस्टिस धनंजय चंद्रचूड़
2. जस्टिस एमआर शाह
3. जस्टिस कृष्णा मुरारी
4. जस्टिस हिमाकोहली
5. जस्टिस पी नरसिम्हा
संविधान पीठ करेगी इस मुद्दे पर फैसला
1. नबाम रेबिया मामले के मामले में, भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुसार, जहां विधान सभा के अध्यक्ष को हटाने की मांग की जाती है, क्या उन्हें विधायकों की अयोग्यता के साथ आगे बढ़ने का अधिकार है ?
2. संविधान के अनुच्छेद 226 और अनुच्छेद 32 के अनुसार, क्या सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के पास विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय लेने का अधिकार है?
3. क्या न्यायालय को विधायकों की अयोग्यता पर निर्णय पारित करने का अधिकार है, भले ही अध्यक्ष या उपाध्यक्ष ने उनकी अयोग्यता पर निर्णय पारित न किया हो?
4. जब विधायकों की अयोग्यता याचिका पर सुनवाई हो रही हो तो सदन के कामकाज का क्रम क्या होना चाहिए?
5. यदि अध्यक्ष किसी विधायक को दसवीं अनुसूची के तहत पहले की तारीख की शिकायत पर अयोग्य घोषित करता है, और अयोग्यता के निर्णय के खिलाफ अपील लंबित है, तो क्या कार्रवाई की जानी है?
6. दसवीं अनुसूची के पैरा 3 को हटा दिए जाने का क्या परिणाम हुआ?
7.व्हिप और सदन के नेता पर निर्णय लेने का अध्यक्ष का क्या अधिकार है?
8. दसवीं अनुसूची में परस्पर विरोधी प्रावधान क्या हैं?
9. क्या किसी पक्ष का आंतरिक प्रश्न न्यायिक समीक्षा के दायरे में आता है? न्यायिक समीक्षा की सीमाएं क्या हैं?
10. किसी व्यक्ति को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करने के राज्यपाल के पास क्या अधिकार हैं? क्या वे न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं?
11. पार्टी में विभाजन के संबंध में केंद्रीय चुनाव आयोग की सटीक भूमिका क्या है?
इन मुद्दों पर सुनवाई होगी. साथ ही असली शिवसेना किसकी इसके साथ पार्टी का चुनाव चिन्ह किसके पास रहेगा इसका भी फैसला होने की संभावना है.