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दिव्यांश मामले में बड़ा अपडेट: बीएमसी अधिकारियों पर तय हुई जवाबदेही
मानवाधिकार आयोग ने वार्ड अधिकारियों को ठहराया दोषी

चंदा जाधव की मुश्किलें बढ़ीं
आईएनएस न्यूज नेटवर्क
मुंबई. गोरेगांव में चार वर्ष पूर्व 2 साल के मासूम दिव्यांश की खुले गटर में गिरकर लापता होने के मामले में बड़ा अपडेट सामने आया है (Divyansh case: Accountability fixed on BMC officials) इस मामले मानवाधिकार आयोग ने पी दक्षिण विभाग के अधिकारियों को दोषी पाया गया है. दिव्यांश की मौत पर मानवाधिकार आयोग ने स्वयं संज्ञान लेते हुए केस दर्ज किया था. इस हादसे के लिए मनपा, पुलिस, या ठेकेदार किसको जिम्मेदार माना जाए यह तय करने में आयोग को चार साल लग गए. अब आयोग ने मनपा पी दक्षिण विभाग की तत्कालीन सहायक आयुक्त चंदा जाधव, घन कचरा प्रबंधन विभाग के असिस्टेंट इंजीनियर, सब इंजीनियर को दोषी मानते हुए जवाबदेही तय कर दी है. आयोग के इस निर्णय से प्रमोशन पाकर उपायुक्त बनीं चंदा जाधव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
मुंबई में कई दिनों से हो रही बारिश के समय सड़कों पर खुले पड़े मेनहोल और गटर खतरा बन गई हैं. गोरेगांव इलाके में बुधवार की रात 2 साल का दिव्यांश गटर में गिर गया था. 60 घंटे तलाश के बाद भी दिव्यांश का कुछ पता नहीं चला था.
मुंबई में बरसात के समय बीएमसी की लापरवाही से ऐसे हादसे होते हैं. लेकिन बीएमसी अधिकारी अपना पल्ला झाड़ लेते हैं. नगरसेवक और नेता भी बीएमसी को जिम्मेदार बता कर घटना पर पर्दा डाल देते हैं. सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण तिवारी ने संघर्ष कर इस मामले में पूरी लड़ाई लड़ी. चार साल की लंबी लड़ाई के बाद यह सफलता मिली है. इस मामले में बीएमसी को दोषी ठहराया गया है जो एक नजीर साबित होने जा रहा है.
मानवाधिकार आयोग ने बीएमसी कमिश्नर इकबाल सिंह चहल को के जरिए संबोधित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस भेज कर जवाब मांगा है. जिसमें यह लिखा है कि आपके खिलाफ 1993 कानून की धारा 18 का उपयोग क्यों न किया जाए. नोटिस में कहा गया है कि संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय करें. मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को होगी.
सामाजिक कार्यकर्ता श्रवण तिवारी ने बताया कि मानवाधिकार आयोग ने लंबी बहस के बाद बीएमसी की जिम्मेदारी तय की है. दिव्यांश हादसे में बीएमसी के पास कहने के कुछ नहीं था. यह पहली बार है जब इस तरह के हादसे के लिए बीएमसी और संबंधित मनपा टीम को को जिम्मेदार ठहराया गया है. इससे पहले होता यह था कि दोषी अधिकारी का ट्रांसफर होने के बाद जो अधिकारी उस पर वर्तमान में होता था उसे जवाब देना पड़ता था. अब तत्कालीन अधिकारी को ही जिम्मेदार माना जाएगा.